पूरी दुनिया में 7 करोड़ से ज्यादा लोग हुए हैं जबरन विस्थापित: UN
संयुक्त राष्ट्र रिफ्यूजी एजेंसी की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक विश्व में 7 करोड़ से ज्यादा लोग जबरन विस्थापित किए गए हैं. लोगों के विस्थापित होने की अहम वजह देश में युद्ध, संघर्ष और उत्पीड़न है.
यूरो न्यूज की खबर के मुताबिक युनाइटेड नेशन्स हाई कमिशनर फॉर रिफ्यूजीज (यूएनएचसीआर) के इतिहास में यह 70 वर्षों में विस्थापित हुए लोगों की सबसे ज्यादा संख्या है.
रिपोर्ट के मुताबिक फ्रांस की आबादी के बराबर विश्व भर में लोग विस्थापित हुए हैं.
2012 से 2015 के बीच सबसे ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं. इसकी खास वजह सीरियाई गृहयुद्ध है. इसके अलावा मीडिल ईस्ट क्षेत्र से भी लोग विस्थापित हुए हैं. ईराक और यमन के संघर्ष इसकी मुख्य वजह हैं.
उप सहारा अफ्रीका के देश कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (डीआरसी) और दक्षिण सूडान से भी लोग विस्थापित हुए हैं. 2017 के अंत में बड़ी संख्या में रोहिंग्या शरणार्थियों के बांग्लादेश जाने से भी विस्थापितों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है.
2018 में भी विस्थापितों संख्या बढ़ी है. इथियोपिया में आंतरिक विस्थापन और वेनेजुएला छोड़कर जाने वाले लोगों की भी संख्या बढ़ी है.
रिपोर्ट के मुताबिक बहुत कम लोग वेनेजुएला के राजनीतिक और आर्थिक संकट की वजह से विस्थापित हुए हैं. वेनेजुएला में अब तक 40 लाख लोग विस्थापित हुए हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वर्तमान में यह विस्थापन संकट की सबसे बड़ी संख्या है.
यूएन के शरणार्थियों के लिए उच्चायुक्त फिलिप्पो ग्रैंडी ने कहा, “यह आंकड़े सुनिश्चित करते हैं कि आने वाले वक्त में विस्थापन में और बढ़ोतरी होगी. युद्ध, संघर्ष और उत्पीड़न से बचने के लिए भारी संख्या में लोग विस्थापित होंगे.”
विश्व भर में विस्थापित हुए 7.08 करोड़ लोगों की तीन मुख्य श्रेणियां हैं.
पहले श्रेणी में वे शरणार्थी आते हैं जो युद्ध, संघर्ष और उत्पीड़न की वजह से जबरन अपना देश छोड़कर भागे हैं. 2018 में विश्व भर में शरणार्थियों की संख्या 2.59 करोड़ थी. 2017 की तुलना में 5 लाख ज्यादा.
दूसरे श्रेणी में वे लोग हैं जिन्हें दूसरे देशों में शरण चाहिए. 2018 के अंत तक लगभग 3.5 करोड़ लोग शरणार्थी के लिए दिए गए आवेदन के फैसले का इंतेजार कर रहे थे.
इन दोनों श्रेणियों को मिलाकर करीब 3 करोड़ लोग पूरे विश्व में विस्थापित हुए हैं. शरण लेने के आवेदकों में आधे से ज्यादा बच्चे हैं, ऐसे नाबालिग बच्चे जिनका कोई नहीं है. ये बच्चे आमतौर पर सालों साल रिफ्यूजी कैम्पों में ही रह जाते हैं. शरणार्थियों को जगह देने वाले देशों को भी ज्यादा संख्या में आए लोगों को संभालने में मुश्किल होती है.
तीसरे श्रेणी में वे लोग आते हैं जो अपने देश में ही विस्थापित हुए हैं. इनकी संख्या 4.1 करोड़ से ज्यादा है. इन्हें आंतरिक विस्थापित लोग कहते हैं.
2018 में मुख्यत: दस देशों के शरणार्थियों की संख्या 82 फीसदी थी. यह संख्या (1.66 करोड़) 2017 के बराबर थी. पिछले साल की तरह लगभग दो-तिहाई शरणार्थी पांच देशों के थे. इनमें सीरिया, अफगानिस्तान, दक्षिण सूडान, म्यांमार और सोमालिया शामिल हैं.
यूनाइटेड नेशन्स रिफ्यूजी एजेंसी के अधिकारी एडरियन एडवर्ड ने उल्लिखित किया कि किस तरह विस्थापितों की संख्या में और बढ़ोतरी होगी. उन्होंने कहा, “दो दशकों से युद्ध और संघर्ष के कारण लोग जबरन विस्थापित हो रहे हैं. यूएनएचसीआर के रिकॉर्ड में इसकी संख्या बढ़ती ही जा रही है. पांच में चार लोग पांच सालों तक शरणार्थी ही रहते हैं. कुल शरणार्थियों में से हर पांच में से एक व्यक्ति 20 से ज्यादा सालों तक शरणार्थी ही रह जाते हैं.”