निर्भया बलात्कार-हत्या मामला: एक दोषी ने मृत्युदंड के खिलाफ याचिका दायर की
निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड के चार मुजरिमों में से एक अक्षय कुमार सिंह ने मौत की सजा के फैसले पर पुनर्विचार के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. अक्षय कुमार सिंह ने तर्क दिया है कि मौत की सजा पर अमल अपराध को नहीं बल्कि सिर्फ अपराधी को मारता है .
दिसंबर, 2012 में हुए सनसनीखेज निर्भया कांड में उच्चतम न्यायालय ने 2017 में चारों मुजरिमों की मौत की सजा के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को सही ठहराया था. इससे पहले, उच्च न्यायालय ने चारों को मौत की सजा के निचली अदालत के फैसले की पुष्टि कर दी थी. दक्षिण दिल्ली में 16-17 दिसंबर, 2012 की रात चलती बस में छह व्यक्तियों ने 23 वर्षीय छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार के बाद उसे बुरी तरह जख्मी करके सड़क पर फेंक दिया था. निर्भया का बाद में 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर में माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल में निधन हो गया था.
इस प्रकरण में 33 वर्षीय अक्षय ने अभी तक पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की थी जबकि तीन अन्य दोषियों की पुनर्विचार याचिका न्यायालय पहले ही खारिज कर चुका है.
अक्षय ने अपने वकील ए पी सिंह के माध्यम से दायर पुनर्विचार याचिका में मौत की सजा के संभावित अमल के खिलाफ दलीलें दी हैं.
इस याचिका में कहा गया है, ”शासन को सिर्फ यह साबित करने के लिए लोगों की मौत की सजा पर अमल नहीं करना चाहिए कि वह आतंक या महिलाओं के खिलाफ हिंसा पर हमला कर रहा है. उसे बदलाव के बारे में सुनियोजित तरीके से सुधार के लिए काम करना चाहिए. फांसी की सजा पर अमल सिर्फ अपराधी को मारता है, अपराध को नहीं.”
शीर्ष अदालत ने पिछले साल नौ जुलाई को इस बर्बरतापूर्ण अपराध के तीन दोषियों 30 वर्षीय मुकेश, 23 वर्षीय पवन गुप्ता और 24 वर्षीय विनय शर्मा की पुनर्विचार याचिकायें खारिज कर दी थीं. न्यायालय ने कहा था कि इनमें 2017 के फैसले पर पुनर्विचार का कोई आधार नहीं है.
इस समय दिल्ली की एक जेल में बंद अक्षय ने अपनी याचिका में कहा है कि मौत की सजा ‘बेरहमी से हत्या’ है और यह दोषियों को सुधरने का अवसर प्रदान नहीं करती है. याचिका में मौत की सजा खत्म करने की कारणों का जिक्र करते हुये कहा है कि ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है जिससे पता चलता हो कि इस दंड का भय पैदा करने का कोई महत्व हो.