विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, वीवीपैट का मिलान जरूरी देरी मुद्दा नहीं
ईवीएम और वीवीपैट मिलान मामले में सुप्रीम कोर्ट को विपक्षी पार्टियों ने बताया कि निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने लिए, चुनाव परिणामों में 6 दिन की देरी से कुछ भी गंभीर रूप से प्रभावित नहीं होगा. उन्होंने कहा कि चुनाव की गरिमा बनाए रखने के लिए 50 फीसदी वीवीपैट मशीनों का मिलान ईवीएम के साथ किया जाना चाहिए.
पचास फीसदी वीवीपैट पर्चियों के ईवीएम से मिलान करने के मामले में कोर्ट ने आयोग के जवाब पर याचिकाकर्ता विपक्षी पार्टियों से 8 अप्रैल तक जवाब दाखिल करने के लिए कहा था.
अग्रेंजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, जवाब में पार्टियों ने कहा कि आम चुनावों के परिणाम में पांच से छह दिन की देरी से कुछ भी गंभीर रूप से प्रभावित नहीं होगा. उन्होंने कहा, “चुनाव प्रक्रिया में निष्पक्षता बनाए रखने के लिए, किसी को भी परिणामों में पांच दिन की देरी मंजूर होगी.”
मामले में 21 विपक्षी पार्टियों का नेतृत्व कर रहे आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने बताया कि अगर मतों की गणना के लिए आयोग लोगों की संख्या नहीं बढ़ता है तो ऐसी सूरत में ही परिणाम आने में 5 से 6 दिन की देरी होगी.
पार्टियों ने इंडियन स्टेटिकल इंस्टीट्यूट के अध्ययन को भी नकार दिया, जिसमें उनसे आयोग को बताया था कि 13 लाख 50 हजार ईवीएम में से 479 का वीवीपैट के जरिए मिलान किए जाने पर करीब 99.99 फीसदी तक सही परिणाम आते हैं.
पार्टियों ने इसके जवाब में कहा कि 13 लाख से ज्यादा ईवीएम का केवल 479 वीवीपीएटी से मिलान करना सही नहीं है. उन्होंने कहा कि वीवीपैट को प्रक्रिया ज्यादा पारदर्शी बनाने के लिए ही तैयार किया गया था, ऐसे में इस सुविधा का पूरी तरह इस्तेमाल किया जाना चाहिए.
पार्टियों ने साफ किया कि वो चुनाव आयोग पर कोई सवाल नहीं खड़े कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “हम केवल सुप्रीम कोर्ट के पिछले फैसलों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए निर्देश जारी करने की मांग कर रहे हैं, ताकि जनता के बीच स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की गरिमा बनी रहे.”
इस मामले में अगली सुनवाई 8 अप्रैल को होगी.