संसद के निलंबन पर आलोचकों ने कहा, ‘जॉनसन का कदम संविधान का उल्लंघन’


brexit bill passed in parliament but deadline rejected

 

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के पांच सप्ताह तक संसद को स्थगित करने के प्रस्ताव को ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय द्वारा मंजूरी के बाद जॉनसन विपक्ष के निशाने पर आ गए हैं. सरकार के इस कदम को आलोचक और विपक्षी नेता संविधान का उल्लंघन बता रहे हैं.

ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने संसद की बैठक को 14 अक्टूबर तक निलंबित रखने की अपनी योजना को बुधवार को सार्वजनिक किया ताकि वह जिसे नया साहसिक एवं महत्त्वकांक्षी विधायी एजेंडा बता रहे हैं उसे ब्रेक्जिट की अंतिम तिथि से दो हफ्ते पहले तक प्रस्तुत कर सकें. हालांकि उनके इस कदम की विपक्ष ने तीखी आलोचना की है.

ब्रिटिश सांसद अब अगले मंगलवार को मिलेंगे और उसके बाद के हफ्ते के लिए संसदीय काम-काज को समाप्त करेंगे जिससे उन्हें चर्चा के लिए कोई भी नया विधायी उपाय पेश करने के लिए बहुत कम समय मिलेगा.

प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा,”पारंपरिक पार्टी सम्मेलनों के समापन के बाद, इस संसद का दूसरा सत्र महारानी के अभिभाषण के साथ सोमवार 14 अक्टूबर से शुरू होगा.”

संसद निलंबित करने के प्रधानमंत्री के कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए ब्रिटेन के हाउस ऑफ कॉमन्स के अध्यक्ष जॉन बर्को ने कहा कि उन्हें प्रधानमंत्री जॉनसन के फैसले के बारे में पहले नहीं बताया गया था.

उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह स्पष्ट है कि निलंबन का मकसद “ब्रेक्जिट पर चर्चा करने से संसद को रोकना और देश के भविष्य को तय करने के उसके कर्तव्य निभाने से रोकना है. यह संवैधानिक का उल्लंघन है.”

विपक्षी लेबर नेता जेरेमी कॉर्बिन ने कहा, “संसद की बैठक निलंबित करना अस्वीकार्य है. प्रधानमंत्री जो कर रहे हैं वह हमारे लोकतंत्र पर कब्जा है ताकि किसी सौदे पर नहीं पहुंचा जा सका.”

लेबर पार्टी के उपनेता टॉम वॉटसन ने कहा कि यह “निंदनीय” है, “हम ऐसा नहीं होने दे सकते.”

स्कॉटलैंड के मंत्री निकोला स्टर्जन ने बुधवार को कहा, “ब्रिटेन के लोकतंत्र के लिए वास्तव में ये एक काला दिन रहेगा.”

जबकि जॉनसन ने कहा, “सांसदों को ब्रेग्जिट पर चर्चा करने के लिए पर्याप्त समय मिलेगा.”

संसद की वेबसाइट पर इस कदम के खिलाफ ऑनलाइन याचिका भी प्रस्तावित की गई. वहीं ब्रिटेन के पूर्व वित्त मंत्री और कंजरवेटिव पार्टी में वरिष्ठ नेता फिलिप हैमंड ने इस कदम को अलोकतांत्रिक करार दिया है.

सरकार की ओर से जारी एक और बयान में कहा गया है कि “…. अब प्रधानमंत्री को सांसदों के समक्ष बहस और छंटनी के लिए एक नया लोकतांत्रिक कार्यक्रम प्रस्तुत करने में मदद मिलेगी. यूरोपीय परिषद के पास ब्रेग्जिट के मुद्दे पर चर्चा के लिए पर्याप्त समय रहेगा.”


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