दोबारा शुरू हुई अमेरिका-तालिबान के बीच शांति वार्ता
अमेरिका ने एक बार फिर तालिबान के साथ वार्ता शुरू कर दी है. दोनों पक्षों ने सात दिसंबर को इसकी जानकारी दी है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने करीब तीन महीने पहले अचानक राजनयिक प्रयासों को बंद कर दिया था. दोहा में यह वार्ता शुरू हुई है.
इस साल सितंबर में तालिबान और अमेरिका समझौते के करीब पहुंचते नजर आ रहे थे. इसके तहत सुरक्षा गारंटी के एवज में अमेरिकी सैनिकों की अफगानिस्तान से वापसी होती.
दोनों पक्षों के संभावित समझौते से उम्मीद की जा रही थी कि तालिबान और अफगान सरकार के बीच सीधी बातचीत का रास्ता साफ होगा और अंतत: 18 साल से जारी युद्ध को समाप्त करने के लिए शांति समझौता होगा.
हालांकि, उसी महीने ट्रंप ने अचानक करीब साल भर से चल रही कोशिश को ‘निरर्थक’ करार देते हुए कैंप डेविड में गोपनीय वार्ता के लिए तालिबान के प्रतिनिधियों को दिए न्यौते को वापस ले लिया. उन्होंने यह कदम अमेरिकी सैनिक के मारे जाने के बाद उठाया.
अमेरिकी सूत्र ने बताया, ” अमेरिका आज दोबारा दोहा में बातचीत में शामिल होगा. चर्चा के केंद्र में हिंसा कम करना होगा जिससे अंतर अफगान वार्ता और संघर्ष विराम के लिए रास्ता बनेगा.”
कतर में मौजूद तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने ट्विटर के जरिये अमेरिका से वार्ता बहाल होने की पुष्टि की है. उसने कहा कि उन्होंने बातचीत वहीं से शुरू की जहां पर यह रोकी गई थी.
शाहीन ने पुष्टि की कि तालिबान के उप प्रमुख के भाई अनस हक्कानी बैठक में शामिल होगा. हक्कानी को अफगान सरकार की हिरासत से पिछले महीने कैदियों की अदला-बदली करार के तहत रिहा किया गया था. उसके एवज में तालिबान ने अमेरिकी शिक्षाविद और उसके ऑस्ट्रेलियाई सहकर्मी को रिहा किया था.
पिछले हफ्ते अफगानिस्तान स्थित अमेरिकी सैन्य ठिकाने के दौरे पर अचानक गए ट्रंप ने कहा था कि ”तालिबान समझौता करना चाहता है.” बातचीत बंद होने के बावजूद अमेरिकी वार्ताकार जलमी खलीलजाद ने हाल के हफ्तों में पाकिस्तान सहित अफगानिस्तान शांति वार्ता के हितधारक देशों का दौरा किया था.
हाल में उन्होंने बंधकों की अदला-बदली कराने की व्यवस्था की जिसमें तालिबान ने तीन साल से बंधक अमेरिकी और ऑस्ट्रेलियाई शिक्षाविदों को रिहा किया. तालिबान अबतक अफगान सरकार से बातचीत से इनकार कर रहा है. वह काबुल की सरकार को अवैध मानता है.