भारत में बड़ी संख्या में करोड़पति कर रहे हैं टैक्स चोरी


top firm will save thirty seven thousands after corporate tax cut says crisil

 

भारत में लगभग 68,000 लोगों की सालाना आय 5 करोड़ से ज्यादा है, जबकि आयकर रिटर्न के अधिकारिक आंकड़ों में ऐसे लोगों की संख्या महज 5000 है.

1 करोड़ से 5 करोड़ तक की आय पर टैक्स जमा करने वालों की संख्या भी आयकर डेटाबेस में दिखाई गई संख्या से दस गुना ज्यादा है. और 50 लाख से 1 करोड़ के आय वालों में से करीब 11 गुना लोग आयकर विभाग की नजरों से बचे हुए हैं.

फाइनेंशियल एक्सप्रेस ने आयकर विभाग के वित्त वर्ष 2016 के डेटा को भारत के नागरिक पर्यावरण और उपभोक्ता अर्थव्यवस्था (आईसीई सर्वेक्षण) पर घरेलू सर्वेक्षण से मिलाया है.

यह सर्वेक्षण वर्ष 2015 के अप्रैल से वर्ष 2016 के मार्च तक किया गया था. इसे पीपल रिसर्च ऑन इंडियाज कंज्यूमर इकॉनोमी (पीआरआईसीई) ने संचालित किया था. इस सर्वेक्षण में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं.

पीआरआईसीई ने सर्वेक्षण में 24 राज्यों के 61,000 घरों को शामिल किया है. इसमें परिवारों की आय और आकार का खुलासा किया गया है. सर्वेक्षण से इस तथ्य का पता चला है कि नोटबंदी के समय भारत की नकदी अर्थव्यवस्था अस्वीकार्य रूप से बढ़ी थी.

हालांकि, उसके बाद भी बड़ी संख्या में टैक्स की चोरी करने वाले लोग बच निकले थे.

विश्लेषकों का कहना है कि अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में छोटे व्यवसायों और पेशेवर नेटवर्क कई वजहों से टैक्स ना देने से बचे रहते है. इसमें एक तरीका ये है कि कर मुक्त कृषि आय को दिखाना. इसका चलन सिर्फ गांव में नहीं है बल्कि बड़े शहरों के नजदीकी क्षेत्रों में भी है.

छोटे उद्योग भी प्रमुख पदाधिकारियों को ज्यादा नकद में ही भुगतान करते हैं. ताकि वे टैक्स देने से बच सकें.

आयकर विभाग बैंक खाते से पैन कार्ड को जोड़ने, नकद को निकालने और जमा करने पर पाबंदी लगाने जैसे कई कदम से टैक्स चोरी पर कुछ हद तक लगाम लगाने में सफल रहा है. लेकिन इसके बावजूद यह इस परेशानी के निबटने के लिए ठोस कदम साबित नहीं हुआ है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि नोटबंदी के बाद 1.75 लाख करोड़ रुपये बैंकों में वापिस आ गए हैं. और करीब 18 लाख लोगों के आय का स्त्रोत अज्ञात था, जिसे जांच के दायरे में लाया गया है. हालांकि अभी तक सिर्फ 6,600 करोड़ ही इससे वापस आ सका है.

बड़े पैमाने पर टैक्स की चोरी होने से ईमानदार करदाताओं पर बोझ बढ़ गया है. खासकर जो नौकरी पेशा हैं. जब तक आयकर विभाग टैक्स चोरी करने वाले बड़े लोगों तक नहीं पहुंचता है, तब तक जो असल में बड़ी संख्या में टैक्स देते हैं, उन पर ध्यान दिया जाएगा.

ज्यादातर टैक्स संबंधी जांच भी उन्हीं मामलों में होती है जहां बड़ी मात्रा में टैक्स चुकाया जाता है. जबकि बड़े पैमाने पर टैक्स ना देने वाले लोग इससे बच निकलते हैं.

वित्त वर्ष 2013 में आयकर स्लैब में 30 फीसदी की सीमांत दर 8 लाख से बढ़ाकर 10 लाख कर दी गई थी. तब से छह सालों के बाद भी रुपये की कीमत में गिरावट आई है. लेकिन, सबसे ज्यादा टैक्स देने वाले स्लैब में कोई बदलाव नहीं हुआ है. यही ज्यादा टैक्स चुकाने वालों पर लगातार पड़ने वाले बोझ की वजह बना हुआ है.


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