एससीओ सम्मेलन: प्रधानमंत्री मोदी ने की चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात
फाइल फोटो.
बिश्केक में आयोजित एससीओ सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की. इस दौरान दोनों के बीच भारत-चीन संबंध और मजबूत करने को लेकर चर्चा हुई. नरेंद्र मोदी के दोबारा प्रधानमंत्री बनने के बाद यह दोनों के बीच पहली मुलाकात है.
मुलाकात से पहले चीन ने इस ओर इशारा किया था कि वह भारत के सामने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की व्यापार संरक्षणवाद और टैरिफ को हथियार की तरह प्रयोग करने वाली नीतियों के खिलाफ मोर्चा बनाने की बात रखेगा.
चीनी अधिकारियों ने आशा जताई है कि भारत जो खुद अमेरिका की तरफ से व्यापार को लेकर दिक्कतों का सामना कर रहा है, वह अमेरिका के खिलाफ चीन का साथ देगा.
इससे पहले पिछले महीने शी जिनपिंग ने लोकसभा चुनाव के परिणाम पूरी तरह घोषित होने से पहले ही नरेंद्र मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री बनने के लिए बधाई दी थी.
भारत और चीन के द्विपक्षीय संबंधों में आर्थिक और व्यावसायिक गतिविधियों का बहुत महत्वपूर्ण भाग है. पिछले साल दोनों के बीच 95 अरब डॉलर की आर्थिक और व्यावसायिक गतिविधियां हुईं. इस साल ये 100 अरब डॉलर के पार जाने वाली हैं.
एससीओ का 19वां सम्मेलन किर्गिस्तान के बिश्केक में 13 से 14 जून तक चलेगा. एससीओ, चीन के नेतृत्व वाला आठ सदस्यीय आर्थिक और सुरक्षा समूह है जिसमें भारत और पाकिस्तान को 2017 में शामिल किया गया था.
इससे पहले भारत ने पाकिस्तान से बिश्केक जाने के लिए मोदी के विमान को उसके वायुक्षेत्र से गुजरने देने का अनुरोध किया था. पाकिस्तान ने भारत के अनुरोध को ‘‘सैद्धांतिक’’ मंजूरी भी दे दी थी.
बिश्केक की 13-14 जून की अपनी यात्रा से पहले मोदी ने एक बयान में कहा कि एससीओ सम्मेलन से इतर उनकी योजना चीन के राष्ट्रपति शी जिंगपिंग समेत कई नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठक करने की भी है.
वहीं विदेश मंत्रालय की ओर से पहले ही स्पष्ट किया जा चुका है कि एससीओ सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके पाकिस्तानी समकक्ष इमरान खान के बीच कोई द्विपक्षीय बैठक होने की योजना नहीं है. हालांकि सूत्रों ने भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय बैठक से इंकार नहीं किया है.
सम्मेलन से पहले पत्रकारों से बातचीत में प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की प्राथमिकताओं पर जोर देते हुए कहा, ‘‘क्षेत्र में बहुपक्षीय, राजनीतिक, सुरक्षा, आर्थिक और लोगों से लोगों के बीच संपर्क को बढ़ावा देने में हम एससीओ को विशेष महत्व देते हैं. भारत ने दो साल पहले एससीओ का पूर्ण सदस्य बनने के बाद इसके विभिन्न वार्ता तंत्रों में सक्रियता से भाग लिया है.’’
किर्गिस्तान के पूर्व भारतीय दूत ने बताया कि “भारत एससीओ में अपनी सदस्या के जरिए मध्य एशिया तक अपनी पहुंच मजबूत करने की कोशिश करेगा. लेकिन आज के समय में क्षेत्रीय, अंतरराष्ट्रीय मुद्दों समेत आतंकवाद पर विभिन्न देशों में मतभेद स्पष्ट देखे जा सकते हैं.”
वो कहते हैं कि “एक तरफ भारत क्षेत्रीय सहभागिता के क्षेत्र में चीन और रूस के साथ रहना चाहता है वहीं दूसरी ओर हम अमेरिका के साथ भी रणनीतिक रिश्तें रखना चाहते हैं.”
इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस की सीनियर फेलो मीना सिंह रॉय ने कहा,”पिछले एससीओ सम्मेलन के दौरन भारत ने चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना में रुचि नहीं दिखाई थी. इस बार उम्मीद की जा रही है कि भारत एससीओ के साथ कनेक्टिविटी पर जोर देगा. हम देखते हैं कि कनेक्टिविटी के क्षेत्र में बीआरआई और चीन ने ही सारी जगह ले ली है.”