नई शिक्षा नीति के मसौदे पर दक्षिण के राज्यों में विरोध
नई शिक्षा नीति को लेकर दक्षिण के राज्यों में बढ़ते विरोध के बाद मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा है कि सरकार की मंशा हिन्दी थोपने की नहीं है.
नई शिक्षा नीति के लिए मंत्रालय को सौंपे गए मसौदे को लेकर दक्षिण के राज्यों खासकर तमिलनाडु में विरोध हो रहा है. मसौदे में हिन्दी को स्कूली शिक्षा के लिए अनिवार्य भाषा के तौर पर शामिल किए जाने की सिफारिश की गई है.
रमेश पोखरियाल ने कहा, “अभी तक कमेटी ने सिर्फ रिपोर्ट सौंपी है. यह शिक्षा को लेकर कोई नई नीति नहीं है. अभी इस सिलसिले में जनता से राय ली जानी है. किसी भी राज्य पर कोई भाषा थोपी नहीं जाएगी.”
पिछले दिनों नई शिक्षा नीति को लेकर डॉक्टर के कस्तुरीरंगन कमेटी ने मानव संसाधन मंत्रालय को 500 पृष्ठ का मसौदा सौंपा था. मसौदे में गैर हिन्दी भाषी राज्यों के लिए तीन भाषाएं सिखाने की सिफारिश की गई है. इनमें हिन्दी, अंग्रेजी और कोई एक क्षेत्रीय भाषा शामिल है. जबकि हिन्दी भाषी राज्यों के लिए अंग्रेजी, हिन्दी और एक आधुनिक भाषा की सिफारिश की गई है.
द्रविड़ मुनेत्र कड़गम प्रमुख एमके स्टालिन ने कहा है उनकी पार्टी संसद में नई शिक्षा नीति को लेकर किए गए सिफारिशों का विरोध करेगी.