नशे के बाद अब एड्स के जाल में फंसता जा रहा है पंजाब


punjab badly hit by hiv aids in last five years with rise rate of 34%

 

नशे की समस्या से बुरी तरह से प्रभावित पंजाब को एक और समस्या ने घेर लिया है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक पंजाब में बीते पांच साल में एचआईवी के मरीजों की संख्या में 34 फीसदी की दर से वृद्धि हुई है.

राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन के मुताबिक इस वित्त वर्ष में पंजाब में एड्स पीड़ित मरीजों की संख्या 10,000 को पार चुकी है. 2019-20 की पहली तिमाही में ही 2943 एचआईवी पीड़ितों की पहचान की जा चुकी है.

साल 2014-15 के दौरान पंजाब में कुल 5385 मामले सामने आए थे. 2018-19 के अंत तक ये संख्या 8133 के आंकड़े को छू चुकी थी.

पंजाब राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी के आंकड़ों के मुताबिक ये बढ़ोतरी साल दर साल होती रही है. 2015-16 में 5543 केस सामने आए, जबकि साल 2016-17 में 5987 मामले दर्ज किए गए.

अमृतसर की हालत सबसे खराब

अगर राज्य के जिलेवार प्रभावितों की बात करें तो इसमें अमृतसर का नाम सबसे ऊपर आता है. यहां कुल एचआईवी पीड़ितों की संख्या 4878 है. दूसरे नंबर पर लुधियाना का नाम आता है, जहां 4045 एचआईवी पीड़ितों की पहचान की गई है.

जालांधार इस राज्य का तीसरा सबसे ज्यादा एड्स प्रभावित जिला है. यहां पीड़ितों की संख्या 3268 है, वहीं पटियाला में 2289 मरीज सामने आए हैं.

अगर सिर्फ वित्त वर्ष 2018-19 की बात करें तो इस दौरान लुधियाना में एड्स मरीजों की संख्या में सबसे ज्यादा इजाफा हुआ है. इस साल लुधियाना में 1014 एचआईवी पीड़ितों के मामले सामने आए. वहीं अमृतसर में 966 लोग एचआईवी का शिकार हुए.

इस वृद्धि के पीछे कारण क्या हैं?

डॉक्टर कहते हैं कि इसके तेजी से बढ़ने के पीछे नशे की लत ही है. नशा करने वाले ज्यादातर लोग ड्रग्स लेने के लिए एक ही सिरिंज का उपयोग कर रहे हैं. इससे एचआईवी तेजी से फैल रहा है.

डॉक्टरों के मुताबिक एचआईवी बढ़ने के पीछे दूसरी वजहों में असुरक्षित यौन संबंध और मां द्वारा बच्चे का संक्रमित होना भी है. ये समस्याएं हैं, जिनपर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है.
विशेषज्ञों के मुताबिक असुरक्षित यौन संबंध और प्रजनन पथ के संक्रमण से एचआईवी सबसे आसानी से फैल रहा है.

प्रशासन बता रहा है दूसरी वजहें

प्रशासन के मुताबिक एचआईवी पीड़ितों की संख्या में तेज इजाफे के पीछे अधिक संख्या में जांच होना है. पंजाब एड्स नियंत्रण सोसाइटी के सहायक प्रोजेक्ट निदेशक डॉक्टर मनप्रीत छटवाल कहते हैं, “2014-15 में हमने 5 से 6 लाख लोगों का टेस्ट किया था, लेकिन बीते साल हमने 11 से 12 लाख लोगों का परीक्षण किया था. इसलिए जांच दोगुनी हो गई है, और राज्य की जनसंख्या भी महत्वपूर्ण रूप से बढ़ रही है.”

डॉ. छटवाल के मुताबिक, “पंजाब में एक ही निडिल का प्रयोग किया जाना आम बात हो गई है, इसलिए एचआईवी प्रसार में ये अन्य वजहों के साथ एक बड़ी वजह बन रहा है.”

क्या किया गया है अब तक?

नशे की आदी लोगों का एचआईवी टेस्ट करने के लिए दो साल पहले क्लीनिक खोले गए थे. इसके अलावा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या में भी इजाफा हुआ है. इसके अलावा एचआईवी के खतरे को कम करने के लिए नशे के आदी लोगों को हानि ना पहुंचाने वाले ड्रग उनके इलाज के मकसद से दिए जा रहे हैं.


ताज़ा ख़बरें