‘पति, पत्नी का ख्याल रखें भले ही चोरी करना पड़े’
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक फैसले की सुनवाई के दौरान कहा है कि पति का सबसे जरूरी काम है कि वह अपनी पत्नी और बच्चों का ख्याल रखें और उनका भरण पोषण करे. फिर भले ही इसके लिए पति को भीख मांगना पड़े, उधार लेना पड़े या चोरी करनी हो.
यह फैसला एक पति द्वारा कोर्ट में फैमिली कोर्ट के फैसले को चुनौती देने के बाद आया है.
लाइव लॉ की खबर के मुताबिक फैमिली कोर्ट ने आरोपी पति को पत्नी को गुजारे भत्ते की 91,000 रु. राशि नहीं देने पर 12 महीने की जेल की सजा सुनाई थी. कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ पति ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का रूख किया था.
पति ने कोर्ट के फैसले को यह कहते हुए चुनौती दी कि वह सिर्फ एक महीने की सजा भुगत सकता है.
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने पति की दलील को सुनित कुमार बनाम रीता केस का हवाला देते हुए खारिज कर दिया. इस फैसले में कहा गया था कि हर महीने का भुगतान नहीं करने के लिए एक महीने की सिविल क़ैद की अधिकतम सज़ा दी जा सकती है.
कोर्ट ने कहा, “किसी को सजा देना असल में उसे आदेश मानने के लिए बाध्य करना है. जेल भेजने का मतलब उसके दायित्वों को समाप्त करना नहीं है, जिसके मासिक भुगतान से उसने मना किया है. पति को पत्नी और बच्चे की आर्थिक जरूरतें पूरी करने के लिए मासिक भुगतान का आदेश दिया गया था. रुपये के आभाव में उपेक्षित पत्नी और बच्चे जिंदा नहीं रह सकते. उन्हें खाने और दूसरी जरूरी चीजें खरीदने के लिए रुपयों की जरूरत होती है.”
पति को उनकी जिम्मेदारी याद दिलाते हुए कोर्ट ने कहा कि पति का पहला कर्तव्य पत्नी और बच्चों का भरण पोषण करना है.