41 फीसदी बढ़ी कीमत पर खरीदा गया राफेल विमान : रिपोर्ट


france will deliver first rafale jet to india

 

राफेल डील की बढ़ी कीमत लेकर भारतीय समझौता दल(एनआईटी) के तीन सदस्यों ने आपत्ति दर्ज की थी. अंग्रेजी अखबार ‘द हिन्दू’ ने दावा किया है कि पीएम मोदी की ओर से की गई डील के बाद प्रति विमान की कीमत 41 फीसदी बढ़ गई है. अखबार ने डील में कई तरह के नियमों की अनदेखी का दावा किया है.

नियमों की अनदेखी 1.दूसरी कंपनियों की ओर से सस्ते डील का ऑफर किया गया था, जिसे सरकार ने खारिज कर दिया.

नियमों की अनदेखी 2. तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर से इसके बारे में कोई राय-मशविरा नहीं लिया गया था. उन्हें गड़बड़ी के लिए ढाल की तरह इस्तेमाल किया गया.

नियमों की अनदेखी 3. एनडीए सरकार ने संसद की विशेषाधिकार समिति को भी राफेल के दाम की पूरी जानकारी नहीं दी है. केन्द्र सरकार इसे फ्रांस और भारत के बीच समझौते का हवाला देती है. हालांकि फ्रांस की सरकार का कहना है कि समझौते के तहत केवल सुरक्षा से जुड़े मामलों को ही साझा नहीं किया जा सकता है.

द हिन्दू ने राफेल से जुड़ी दस्तावेज के हवाले से कहा है कि डिजाइन के मद में 1.3 अरब यूरो अतिरिक्त कीमत पर राफेल डील पक्की हुई. इसको लेकर सात सदस्यीय एनआईटी के तीन सदस्य सहमत नहीं थे. हालांकि पहले यह मद 1.4 अरब यूरो था.

एनआटी सदस्यों, राजीव वर्मा, संयुक्त सचिव और अधिग्रहण प्रबंधक (वायु), अजीत सुले, वित्तीय प्रबंधक (वायु), और एमपी सिंह, सलाहकार (लागत) डील की कीमत सहित कई बिन्दुओं पर आपत्ति की थी. हालांकि इसे 4-3 से मंजूरी मिल गई थी.

डिजाइन के लिए 1.3 अरब यूरो की अतिरिक्त रकम का विमानों की संख्या से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था. यानि 36 विमानों (126 विमानों की तुलना में) के लिए भी 1.3 अरब यूरो ही चुकाना पड़ेगा.

राफेल विमानों की कीमत कब कितनी बढ़ी है?

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 10 अप्रैल 2015 को फ्रांस से 36 राफेल विमान खरीदने की घोषणा की थी. यूपीए सरकार ने साल 2007 में दसॉल्ट एविएशन को बोली के बाद राफेल विमान की आपूर्ति के लिए चुना था. दसॉल्ट को डील के तहत 126 विमान भारत को देने थे. इनमें 18 पूरी तरह से निर्मित और 108 हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड की ओर से बनना तय था. तब एक विमान की ढांचे की कीमत 7 करोड़ 93 लाख यूरो थी.

साल 2011 में प्रति विमान की कीमत डिजाइन के मद में 1 करोड़ 11 लाख मिलियन यूरो से बढ़कर 10 करोड़ 85 हज़ार यूरो हो गई.

साल 2016 में एनडीए सरकार की ओर से प्रति विमान की कीमत 9 फीसदी कम पर तय की गई. यानि एक विमान की कीमत 9 करोड़ 1 लाख 75 हज़ार यूरो पर समझौता हुआ. लेकिन विमानों की संख्या को 126 से घटाकर 36 कर दी गई. वहीं विमानों में डिजाइन के लिए अलग से 1.3 अरब यूरो देने पर सहमति बनी.

इस तरह से नरेन्द्र मोदी की घोषणा के बाद प्रति विमान की कीमत बढ़कर 12.786 करोड़ यूरो हो गई. शुरुआती डील की तुलना में मोदी सरकार की ओर से प्रति राफेल विमान 41 फीसदी अधिक पर डील पक्की हुई.

डिजाइन के नाम पर क्या हुआ?

भारतीय वायुसेना की जरूरत को पूरी करने के लिए विमानों की डिजाइन में बदलाव का तर्क दिया जा रहा है. सरकार की ओर से कहा गया कि 14 तरह के मोडिफिकेशन किए गए हैं. हालांकि मोडिफिकेशन के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है.


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