रेटिंग एजेंसी फिच ने भारत की वृद्धि दर के अनुमान को लगातार दूसरी बार घटाया


nsso released data for gdp growth rate for third trimester of current fiscal

 

वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच ने चालू वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारत की वृद्धि दर के अनुमान को लगातार दूसरी बार घटा दिया है. इस दौरान इस रेटिंग कंपनी ने भारत की वृद्धि दर को 6.8 फीसदी से घटाकर 6.6 फीसदी कर दिया है.

रेटिंग कंपनी ने ये कदम बीते एक साल के दौरान विनिर्माण और कृषि क्षेत्र में लगातार दिखाई दे रही सुस्ती के चलते उठाया है.

इससे पहले मार्च में फिच ने चालू वित्त वर्ष में भारत की वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 7 से 6.8 फीसदी किया था. अर्थव्यवस्था की रफ्तार सुस्त पड़ने की वजह से उस समय फिच ने वृद्धि दर के अनुमान को घटाया था.

इस रेटिंग एजेंसी ने वृद्धि दर का अनुमान ऐसे समय कम किया है जबकि आगामी पांच जुलाई को बजट पेश होना है.

इससे पहले बीते वित्त वर्ष 2018-19 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.8 फीसदी रही थी, जो इसका पिछले पांच साल का सबसे निचला स्तर है.

जनवरी-मार्च की तिमाही में तो वृद्धि दर घटकर पांच साल के निचले स्तर 5.8 फीसदी पर आ गई. इससे भारत ने सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का तमगा चीन से गंवा दिया है. इस तिमाही में चीन की वृद्धि दर 6.4 फीसदी रही.

फिच रेटिंग्स ने ताजा वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में कहा है, ‘‘2019-20 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.6 फीसदी रहेगी. 2020-21 में यह बढ़कर 7.1 फीसदी पर पहुंच जाएगी. 2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7 फीसदी रहने का अनुमान है.’’

भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है.

फिच ने अपनी रिपोर्ट में रिजर्व बैंक के रेट कट का भी उल्लेख किया है, और संभावना जताई है कि केंद्रीय बैंक वृद्धि दर में तेजी लाने के लिए आगे भी ब्याज दरों में कमी ला सकती है.

रिपोर्ट में कहा गया है, “हम 2019 में आगे भी 25 आधार अंको की कमी की आशा करते हैं, जो वृद्धि दर को प्रोत्साहित करेगी. रेट में कमी के फलस्वरूप ब्याज दरें 5.50 फीसदी तक जा सकती हैं. रिजर्व बैंक के द्वारा मौद्रिक और नियामक प्रावधान सरल करने और पोर्टफोलियो निवेश में वृद्धि से निजी क्षेत्र में क्रेडिट की समस्या को खत्म होनी चाहिए, इससे निगेटिव क्रेडिट की स्थिति पलट जाएगी.”


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