रिजर्व बैंक ने सरकार को 1.76 लाख करोड़ की राशि देने को मंजूरी दी


npa ratio of banks may increase to ten percent in september says reserve bank

 

रिजर्व बैंक ने लाभांश और अधिशेष कोष के मद से 1.76 लाख करोड़ रुपये सरकार को हस्तांतरित करने का निर्णय किया है.

रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल ने आरबीआई के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने के बाद यह कदम उठाया गया है. समिति का गठन रिजर्व बैंक के कारोबार के लिए आर्थिक पूंजी /बफर पूंजी के उपयुक्त स्तर के निर्णाण और आवश्यकता से अधिक पड़ी पूंजी को सरकार को हस्तांतरित करने के बारे में सिफारिश देने के लिए किया गया था.

रिजर्व बैंक ने एक बयान में कहा कि आरबीआई निदेशक मंडल ने 1,76,051 करोड़ रुपये सरकार को हस्तांतरित करने का निर्णय किया है. इसमें 2018-19 के लिये 1,23,414 करोड़ रुपये के अधिशेष और 52,637 करोड़ रुपये अतिरिक्त प्रावधान के रूप में चिन्हित किया गया है. यह अतिरिक्त प्रावधान की यह राशि आरबीआई की आर्थिक पूंजी से संबंधी संशोधित नियमों (ईसीएफ) के आधार पर निकाला गई है.

निदेशक मंडल ने बयान में कहा, “समिति के प्रस्ताव इस तथ्य से निर्देशित थे कि आरबीआई मौद्रिक, वित्तीय और बाहरी स्थायित्व जैसी महत्वपूर्ण गतिविधियों के लिए प्राथमिक बांध के तौर पर काम करता है. इस आधार पर आरबीआई को जनिहित की योजनाओं और विश्व में तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था के केंद्रीय बैंक के रूप में काम करना चाहिए.”

असल में रिजर्व बैंक के पास आवश्यकता से अधिक पूंजी होने को लेकर सरकार और रिजर्व बैंक के बीच विवाद की स्थिति बनी हुई थी. इसके चलते उर्जित पटेल ने अचानक से रिजर्व बैंक के गवर्नर के पद से इस्तीफा दे दिया था.

इसके बाद पिछले साल दिसंबर में सरकार और रिजर्व बैंक के बीच यह तय हुआ था कि रिजर्व बैंक की अधिशेष पूंजी को लेकर एक समिति का गठन किया जाएगा.

इस समिति में आरबीआई के पूर्व गवर्नर बिमल जालान के साथ पूर्व डेपुटी गवर्नर राकेश मोहन, केंद्रीय बोर्ड के सदस्यों भरत दोषी और सुधीर मांकड़, आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग और आरबीआई के डेपुटी गवर्नर एनएस विश्वनाथन को शामिल किया गया था. बिमल जालान इस कमेटी की अध्यक्षता कर रहे थे.

समिति का प्रमुख काम यह पता लगाना था कि क्या आरबीआई के पास एक तय सीमा से अधिक पूंजी है, अगर है तो समिति को इस अधिशेष पूंजी को केंद्र सरकार को हस्तांतरित करने का प्रस्ताव रखना था.

कमेटी ने आरबीआई के 2017-18 के अकाउंट्स का अध्ययन करने के बाद पाया कि केंद्रीय बैंक के पास 2.5 लाख करोड़ रुपये का आकस्मिक फंड और 6.91 लाख करोड़ रुपये का गोल्ड रिवैल्युएशन रिजर्व है.

वहीं सरकार में मौजूद कुछ लोगों का मानना था कि आरबीआई के पास 3.6 लाख करोड़ रुपये का अधिशेष पूंजी है.


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