रिपोर्टर डायरी: हरियाणा में कांग्रेस के लिए कठिन है डगर पनघट की
हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव का असर दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय 24 अकबर रोड पर साफ देखा जा सकता है. पार्टी के दफ्तर पर पसरा सन्नाटा गवाही दे रहा है कि अधिकतर नेता चुनावी दौरे पर निकले हुए हैं. दिल्ली के करीब होने के नाते नेताओं को लगता है कि हरियाणा का चक्कर लगा लिया जाए. महराष्ट्र जाने का तो मौका मिलेगा नहीं और ना ही पार्टी भेजने वाली. जिनको जाना था वो चले गए. अब हरियाणा जाकर ही नेतागिरी की जा सकती है.
पार्टी दफ्तर पर भूले भटके आए नेता भी सन्नाटा देखकर चौक जाते हैं. होंडा सिटी कार मे आए राजस्थान के पूर्व विधायक और प्रियंका गांधी से जुड़े सचिव भी कुछ समय के लिए दफ्तर पर अपना समय बिताते हैं, लेकिन किसी और को ना पाकर वापस लौटना ही बेहतर समझते हैं. कुछ समय के लिए पत्रकारों से बातचीत कर राजनीतिक हालचाल लेते हैं और साथ में बज रहे फोन पर भी लोगों से बतिया लेते हैं. हालांकि, उदासी का कारण केवल चुनाव ही नहीं बल्कि छापे मारी भी माना जा रहा है.
हरियाणा के चुनाव में पार्टी हुड्डा से काफी उम्मीद लगाए बैठी है लेकिन वहां पर जाट और नॉन जाट के बीच होने वाले ध्रुवीकरण से परेशान भी है. हरियाणा कांग्रेस के एक नेता जो ओबीसी विभाग में पड़े पद पर हैं उनको हरियाणा मुस्लिम बेल्ट में वोटों के बंटने की चिंता सता रही है. नेता जी का कहना है कि जाट तो इस बार एक तरफ हुड्डा को वोट देगा लेकिन नॉन जाट का दिल अभी भी भाजपा के पक्ष में है. जिसके कारण खट्टर सरकार को अभी भी बढ़त हासिल है. वहीं मुस्लिम वोट कांग्रेस के साथ आईएनएलडी और जेजेपी में बट सकता है.
हरियाणा से आए ओबीसी विभाग के नेता का कहना है कि भाजपा के पास पैसे की कमी नहीं जबकि हरियाणा कांग्रेस में जो कुछ भी है वो हुड्डा के कारण ही चल रहा है. पार्टी को तो सरकारी एजंसियों ने पूरी तरह से दबा लिया है. एकाउंट विभाग बंद पड़ा है. जो कर्मचारी हैं वो डर के मारे आ नहीं रहे और बिना पैसे चुनाव कहां होता है. खट्टर सरकार ने छोटे नेताओं को इतना पैसा दे दिया है कि वर्कर नहीं मिल रहा. वहीं तंवर भी गांव-गांव जाकर पार्टी का विरोध कर रहे हैं. हर गांव में उनके पास आदमी है.