इंदिरा जयसिंह पर CBI कार्रवाई के विरोध में पूर्व अधिकारियों का खुला पत्र
भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व सदस्यों के एक समूह ने खुला पत्र लिखकर मानवाधिकार कार्यकर्ता और वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह और आनंद ग्रोवर पर हुई सीबीआई कार्रवाई की आलोचना की है.
इस पत्र में प्रशासनिक अधिकारियों ने किसी राजनीतिक दल से अपना संबंध होने से इनकार किया है और कहा है कि वे पूरी तरह से संविधान के प्रति समर्पित लोग हैं.
इन अधिकारियों ने अपने पत्र के माध्यम से मानवाधिकार रक्षकों को सत्ताधारी पार्टी द्वारा लगातार परेशान करने की आलोचना की है. इस पत्र में इंदिरा जयसिंह और आनंद ग्रोवर के कार्यालय और निवास पर सीबीआई के छापे की आलोचना की गई है.
पत्र में कहा गया है कि लॉयर्स कलेक्टिव के संस्थापक इंदिरा जयसिंह और आनंद ग्रोवर महिला अधिकारों, लैगिंक समानता, पर्यावरण के मुद्दों और कानून के शासन के लिए दशकों से लड़ते आ रहे हैं.
अधिकारियों ने कहा है कि जयसिहं देश की सॉलिसिटर जनरल भी रह चुकी हैं. साथ ही वे महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा से बचाने वाले कानून की पैरवी करने वालों में अग्रणी रहीं हैं.
पत्र में आनंद ग्रोवर का जिक्र करते हुए कहा गया है कि उन्होंने स्वास्थ्य और वहन करने योग्य दवाओं की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए आजीवन काम किया है. पत्र में कहा गया है कि धारा 377 को आपराधिक श्रेणी से बाहर करवाने में ग्रोवर का बड़ा योगदान रहा है.
इस पत्र में कुल 56 सेवानिवृत प्रशासनिक अधिकारियों के नाम हैं. इनमें प्रमुख तौर पर कैबिनेट सचिवालय के विशेष सचिव वप्पाला बालाचंद्रन, पूर्व कोयला सचिव चंद्रशेखर, पुर्तगाल के लिए भारतीय राजदूत रहीं मधु भादुड़ी आदि के नाम शामिल हैं.