सवर्ण आरक्षण: बढ़ेंगी सीटें, नहीं मिलेगा फंड
केन्द्र सरकार ने गरीब सामान्य वर्ग के छात्रों को शिक्षण संस्थानों में 10 फीसदी आरक्षण देने के बाद 25 फीसदी सीटें बढ़ाने का ऐलान तो कर दिया है, लेकिन इसके लिए कोई फंड की व्यवस्था नहीं की गई है. न ही 25 फीसदी सीट बढ़ाने को लेकर कोई समय सीमा तय की गई है.
इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, सामाजिक न्याय और कल्याण मंत्रालय ने केन्द्रीय शिक्षण संस्थानों को बाहरी स्त्रोतों से धन की व्यवस्था करने को कहा है. सात जनवरी को केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दी है.
इसके उलट साल 2006 में केन्द्रीय शिक्षण संस्थानों में ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की गई थी. तब यूपीए सरकार ने संस्थानों के इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए अतिरिक्त फंड जारी किया था.
मानव संसाधन मंत्रालय की ओर से तब केन्द्रीय विश्वविद्यालयों को 2,166.89 करोड़ रुपये और तकनीकी संस्थाओं को 4,227.46 करोड़ रुपये जारी किये गए थे. ओबीसी आरक्षण की वजह से अनारक्षित सीटों में कटौती रोकने के लिए सरकार ने यह फैसला लिया था. छह साल में संस्थानों की क्षमता को 54 फीसदी तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया था.
केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने अनारक्षित सीटों में कटौती रोकने के लिए 15 जनवरी को केन्द्रीय शिक्षण संस्थानों में 25 फीसदी सीट बढ़ाने की बात कही थी.
एक अनुमान के मुताबिक 25 फीसदी सीट बढ़ाने के लिए केवल केन्द्रीय विश्वविद्यालयों को 4,200 रुपये अतिरिक्त फंड की जरुरत होगी.
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सवर्ण आरक्षण आर्थिक रूप से पिछड़े ऐसे गरीब लोगों को दिया जाएगा, जिन्हें अभी आरक्षण का फायदा नहीं मिल रहा है .
नए प्रस्ताव के मुताबिक, आठ लाख सालाना से कम आय वाले आरक्षण का लाभ उठा सकेंगे. इसके साथ 1,000 वर्ग फीट से छोटे मकान और पांच एकड़ से कम जमीन होने जैसी शर्तें भी रखी गई हैं.
प्रस्तावित आरक्षण सामान्य श्रेणी में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में दिया जाएगा. यह पहले से चले आ रहे करीबन 50 फ़ीसदी आरक्षण से अलग होगा. इस तरह आरक्षण की मौजूदा सीमा 49.5 फीसदी से बढ़ कर 59.5 फीसदी हो जाएगी.