ग्लोबल वार्मिंग: बेल्जियम की सड़कों पर 70 हजार लोगों ने किया मार्च


seventy thousand people marched in brussels for the climate demonstration

 

दुनिया भर में ग्लोबल वार्मिंग की वजह से खतरा मंडरा रहा है. संयुक्त राष्ट्र और तमाम मानवाधिकार संगठनें इसके लिए आवाज उठा रही हैं. इस बार ब्रुसेल्स में कम से कम 70,000 लोगों ने बेल्जियम सरकार और यूरोपियन यूनियन से जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से निपटने की मांग करते हुए मार्च किया.

ब्रुसेल्स की सड़कों पर इन लोगों ने ठंड और बारिश के बावजूद ‘राइज फॉर क्लाइमेट’ मार्च निकाला. इस मार्च को बेल्जियम में जलवायु के मुद्दे पर अब तक का सबसे बड़ा मार्च बताया जा रहा है.

यही नहीं ग्लोबल वार्मिंग रोकने की मांग के साथ बेल्जियम में करीब 35,000 छात्र स्कूल-कॉलेज को छोड़ कर सड़कों पर थे.

गारे डू नार्ड से शुरू होकर यह मार्च यूरोपीय यूनियन के हेडक्वॉर्टर प्लेस टू लक्जमबर्ग पर जा कर खत्म हुआ. यहां पर लोगों ने ग्लोबल वार्मिंग और उसको लेकर चल रही उदासीनता पर भाषण दिए और कन्सर्ट का आयोजन किया.

पुलिस का मानना है कि पिछले महीने हुए प्रदर्शन के मुकाबले इसमें ज्यादा भीड़ जुटी. देश भर से आने वाली ट्रेनें इतनी भरी हुई थीं कि हजारों लोग मार्च के लिए समय से नहीं पहुंच पाए. दो दिसंबर 2018 को हुए इसी तरह के मार्च में करीब 65,000 लोगों ने हिस्सा लिया था.

प्रदर्शन कर रहे लोगों ने अपने हाथों में ‘देयर इ जनो मोर प्लेनेट बी’ और ‘एक्ट नाउ’ जैसे बैनर और प्लेकार्ड थाम रखा था.

फिलहाल बेल्जियम में कार्यवाहक सरकार है. इसलिए राजनीति पर सीधा प्रभाव पड़ने की आशंका कम ही है. लेकिन इन प्रदर्शनों ने जलवायु परिवर्तन को यहां एक एजेंडा बना दिया है. जहां पार्टियां मई में होने वाले राष्ट्रीय और यूरोपीय यूनियन के चुनावों के लिए तैयारियां कर रही हैं.


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