असम: एनआरसी पर नए सिरे से सुनवाई के बीच चार की मौत


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असम में एनआरसी पर नए सिरे से सुनवाई के बीच अफरा-तफरी के माहौल में अपने घरों से सैकड़ों किमी दूर सुनवाई के लिए पहुंचे हजारों लोगों में से अब तक चार लोगों की मौत हो गई है, वहीं कई अन्य घायल हो गए हैं.

दरअसल, एनआरसी अधिकारियों ने असम के निचले जिलों से हजारों के तादाद में लोगों को समन भेजते हुए उन्हें 5 और 7 अगस्त को सुनवाई के लिए पेश होने का नोटिस जारी किया. इनमें से अधिकतर लोग जोरहाट, गोलाघाट, शिवसागर और चराईदेव के रहने वाले थे, जिन्हें सुनवाई के लिए असम से ऊपरी इलाकों में पहुंचना था, यानी अपने घरों से करीबन 300-400 किमी दूर.

द इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि इन इलाकों में पहुंचने के लिए लोगों ने बड़ी संख्या में एसयूवी, मल्टी परपज व्हीकल और बसों का सहारा लिया. लोगों ने जल्दीबाजी में सुलभ यात्री वाहनों की जगह जो भी गाड़ी मिली उसे बुक किया. इनमें से बहुत से गाड़ियां ओवर-लोडेड थीं.

5 अगस्त के बाद,  एक बस में बैठी दो बहनें, सुनवाई के दौरान बीमार हुईं एक वरिष्ठ महिला और एक अन्य 14 वर्षीय लड़की की मौत हो गई है.

ग्रामीण इलाके के कामरूप जिले से आने वाली 60 वर्षीय रजिया खातून सुनवाई के दौरान बीमार पड़ गईं. जिसके बाद उन्हें नागांव जिला स्थित अस्पताल लाया गया, जहां उन्हें डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया. रजिया समन पर सुनवाई के लिए घर से 250 किमी दूर कलियाबोर पहुंची थीं.

मौत का कारण अब तक स्पष्ट नहीं है. वहीं असाल पारा के 65 वर्षीय हानिफ अली की भी यात्रा के दौरान दुर्घटना में मौत हो गई.

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गोलाघाट से कामरूप जा रही दो बहने जॉयमोन नेसा (32) और अर्जीना बेगम (14) की दुर्घटना में मौत हो गई. बहनों के एक रिश्तेदार फैज उर रहमान ने बताया कि “अर्जीना डाकाचांग गांव के एक निजी स्कूल में कक्षा आठ की छात्रा थी. परिवार से करीबन 20 लोगों को सुनवाई के लिए बुलाया गया था. सुनवाई पूरी करने के बाद जब वो लौट रहे थे तब एक दुर्घटना में दोनों की मौत हो गई.”

कामरूप से गोलाघाट जा रही एक यात्री बस का गुवाहाटी के पास एक टार ले जा रहे ट्रक से टक्कर के कारण 22 लोग घायल हो गए. दुर्घटना में टार की चपेट में आने वाले कुछ लोग गंभीर रूप से घायल हो गए, जिन्हें गुवाहाटी मेडिकल कॉलेट और हॉस्पिटल (जीएमसीएच)  में भर्ती कराया गया. सानापुर में एक अन्य दुर्घटना में सात लोग घायल हो गए.

जीएमसीएच के एक वालंटियर शकील अहमद ने कहा, “ये सभी लोग काफी गरीब हैं. मुझे लगता है इन लोगों ने जल्दीबाजी में गाड़ी बुक की. यह गाड़ी नेशनल हाईवे पर 700-800 किमी आने-जाने की यात्रा के लिए सही नहीं थी. पर क्योंकि इन्हें समय पर पहुंचना था तो इन लोगों ने जो भी गाड़ी मिली उसे बुक किया. अगर 36 घंटों की जगह कम से कम 15 दिन का समय मिलता तो बेहतर होता.”

ट्रक के साथ टक्कर में घायल हुए 26 वर्षीय आयारुल हकू बुयान जीएमसीएच में भर्ती हैं और फिलहाल उनकी हालत स्थिर है. उन्होंने बताया, “मैं इससे पहले भी एनआरसी सुनवाई में पेश हो चुका हूं. पर तब सुनवाई हमारे घरों के पास हुई थी. पर पता नहीं इस बार सुनवाई केंद्र इतना दूर क्यों थे. अगर सुनवाई दूर नहीं होती तो कोई भी व्यक्ति घायल नहीं होता ना ही किसी की मौत होती. ये सही नहीं था? वो ऐसा कैसे कर सकते हैं.”

इन घटनाओं और मौतों पर सरकारी अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं. सुप्रीम कोर्ट की ओर से मीडिया से बात करने के इनकार करने के चलते एनआरसी के राज्य संयोजक प्रतीक हजेला ने अखबार द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब नहीं दिया.


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