नागरिकता विधेयक के विरोध में असम में राज्यव्यापी हड़ताल जारी


Statewide strike in Assam to protest civil bills

 

विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) विधेयक के खिलाफ असम में राज्यव्यापी हड़ताल का मिला-जुला असर देखने को मिल रहा है. गुवाहाटी, तिनसुकिया और डिब्रूगढ़ जिलों में वाहनों को क्षति पहुंचाने की खबर है. आंशिक बाधाओं के बाद रेलवे का परिचालन दोबारा शुरू हो गया है.

पूर्वोत्तर छात्र संगठन (एनईएसओ) की ओर से बुलाई गई हड़ताल का अखिल असम छात्र संघ (एएएसयू) सहित विभिन्न राजनीतिक पार्टियां और छात्र संगठन समर्थन कर रहे हैं.असम गण परिषद (एजीपी) ने सात जनवरी को भाजपा नेतृत्व वाली असम सरकार से समर्थन वापस ले लिया है. एजीपी भी हड़ताल के समर्थन में है. इसके अलावा 30 जातीय संगठन असम में बंद का समर्थन कर रहे हैं.

विपक्षी कांग्रेस, एआईयूडीएफ और कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) भी इस बंद को अपना समर्थन दे रहे हैं.

पुलिस ने बताया कि वाहनों की आवाजाही को रोकने के लिए विभिन्न स्थानों पर सड़कों पर टायर जलाए गए. गुवाहाटी, तिनसुकिया और डिब्रूगढ़ जिलों में वाहनों को क्षति पहुंचाई गई है.

माना जा रहा कि गुवाहाटी और डिब्रूगढ़ जिले में पटरियों को भी कुछ देर के लिए जाम किया गया.  प्रदर्शनकारियों को पटरियों पर से हटाने के बाद दिल्ली जा रही राजधानी एक्सप्रेस सहित अन्य ट्रेनों की आवाजाही बहाल हो गई.

पुलिस और आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि ब्रह्मपुत्र घाटी में दुकानें, बाजार, वित्तीय संस्थान, शिक्षण संस्थान, निजी कार्यालय बंद रहे.  लंबी दूरी की बसों सहित निजी वाहन सड़कों पर बहुत कम दिख रहे हैं.

खबर है कि सार्वजनिक परिवहन के अभाव में सरकारी कार्यालयों में भी कर्मचारी कम संख्या में पहुंचे.

असम राज्य परिवहन निगम की कुछ बसें भी बेहद कम संख्या में सड़कों पर उतरी.

बंद को देखते हुए राज्य भर में सुरक्षा इंतजाम कड़े कर दिए गए हैं. असम के पुलिस महानिदेशक कुलाधर सैकिया ने बताया, “जिला पुलिस अधीक्षकों (एसपी) को शांति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं. किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए उचित बलों की तैनाती की गई है. सभी स्थानों पर गश्त भी बढ़ा दी गई है.

बंगाली बहुल बराक घाटी में चार जनवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 जल्द से जल्द संसद में पारित कराया जाएगा.


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