महाराष्ट्र: सूखे की समस्या के बावजूद गन्ना उत्पादन में वृद्धि
महाराष्ट्र का अधिकतर हिस्सा सूखे की समस्या से जूझ रहा है. यहां करीब 24 हजार गांव सूखे की गंभीर समस्या में उलझ चुके हैं. लेकिन इस बीच रबी और खरीफ फसलों पर आए सरकारी आंकड़ों से एक चौंकाने वाली बात सामने आई है. इस रिपोर्ट से साफ हुआ है कि बीते साल गन्ने के उत्पादन और इस साल इसके बुआई क्षेत्र में वृद्धि हुई है.
ये बात इसलिए चौंकाने वाली है, क्योंकि गन्ने की फसल को बहुत ज्यादा मात्रा में पानी की जरूरत होती है, ऐसे में सूखा प्रभावित इलाकों में इसके बुआई क्षेत्र में वृद्धि चिंता का विषय है.
आंकड़ों के मुताबिक 2017-18 की तुलना में इस बार गन्ने की फसल में 10 फीसदी की वृद्धि हुई है. और इसी दौरान गन्ना उगाए जाने वाले क्षेत्र में 22 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है.
हालांकि इस दौरान दूसरी फसलों के उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई. खरीफ की फसल में अन्न उत्पादन में 12 फीसदी की गिरावट हुई है. जबकि कुल उत्पादन में 0.05 फीसदी की नाममात्र की बढ़त दर्ज की गई. तिलहन उत्पादन में 16 फीसदी की बढ़त दर्ज हुई है.
इस रिपोर्ट के मुताबिक रबी की फसल में किसानों को काफी घाटा उठाना पड़ा है. इस दौरान खाद्यान्नों के उत्पादन में 63 फीसदी की गिरावट, दालों में 51 फीसदी और तिलहन में 70 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई.
गेहूं के उत्पादन में भी 61 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. सूखे का सबसे ज्यादा असर रबी की फसल पर ही रहा. इस दौरान कुल क्षेत्र का सिर्फ 50 फीसदी ही फसल बोने के काम में आ सका.
उधर धान के किसानों को कुछ राहत मिली है. पूर्वी विदर्भ इलाके में चावल के उत्पादन में बढ़त दर्ज की गई. इस दौरान यहां चावल की फसल में 28 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया. कपास की फसल में भी 17 फीसदी का उछाल आया.
बीते शुक्रवार को आगामी खरीफ सीजन पर चर्चा के लिए नियमित वार्षिक बैठक आयोजित की गई. इस बैठक में मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने सिंचाई के लिए पानी बचाने वाली तकनीकी को बढ़ावा देने की बात कही.
उन्होंने कृषि विश्वविद्यालयों से कम पानी में अधिक फसल उत्पादन की तकनीकी ईजाद करने का आग्रह किया.
गन्ने की फसल का बढ़ता क्षेत्र और इलाके में पानी की समस्या को लेकर विशेषज्ञ काफी चिंतित दिख रहे हैं. इसको लेकर पानी प्रबंधन विशेषज्ञ प्रोफेसर राजेंद्र सिंह कहते हैं कि महाराष्ट्र में पानी बचाने को प्राथमिकता के तौर पर लेना चाहिए.
उन्होंने कहा, “सरकार को इसे लेकर बड़े कदम उठाने होंगे. इसके लिए सूखा प्रभावित क्षेत्रों में गन्ने की फसल पर प्रतिबंध लगाना होगा. इस समस्या से निबटने का कोई और उपाय नहीं है.”