आनंद तेलतुंबड़े को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आनंद तेलतुंबड़े के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने से मना कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि जांच प्रक्रिया इस समय जिस चरण में है, उसमें एफआईआर रद्द नहीं किया जा सकता. कोर्ट का मानना था कि एफआईआर रद्द करके वह फिलहाल जांच प्रक्रिया को प्रभावित नहीं करना चाहता.
हालांकि कोर्ट ने जांच प्रक्रिया के लंबे खिंचते जाने पर चिंता भी जताई. उसने आनंद तेलतुंबड़े की याचिका खारिज करते हुए कहा कि वह अपनी जमानत के लिए चार हफ्ते के भीतर याचिका दायर कर सकते हैं.
इससे पहले आनंद ने बॉम्बे हाईकोर्ट के 24 दिसंबर के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें उनके खिलाफ भीम कोरेगांव हिंसा में दर्ज एफआईआर को रद्द करने से मना कर दिया गया था. हाई कोर्ट ने कहा था कि उनके खिलाफ अभियोग चलाए जाने का पर्याप्त आधार है.
बता दें कि पुणे पुलिस का आरोप है कि आनंद तेलतुंबड़े के माओवादियों के साथ संबंध थे. पुणे पुलिस ने आनंद तेलतुंबड़े के गोवा स्थित घर पर छापेमारी कर यह दावा किया था कि उनको तेलतुंबड़े के खिलाफ अभियोग चलाने लायक पर्याप्त सामाग्री मिली है. वहीं, आनंद तेलतुंबड़े ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को गलत और बेबुनियाद बताया था.
बांबे हाई कोर्ट पहले ही यलगार परिषद-भीमा कोरेगांव हिंसा मामले को गहरी साजिश बता चुका है. उसने टिप्पणी की थी कि इस मामले में बहुत गहरी साजिश हुई है और इसके परिणाम बेहद गंभीर हो सकते हैं. मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने पुणे पुलिस को जांच के लिए पूरा वक्त देने की बात कही थी.
इस मामले कई में माओवादी समर्थकों की पुणे पुलिस जांच कर रही है. पुणे पुलिस माओवादी संगठन से जुड़े होने के मामले में 10 आरोपियों के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में पहले ही आरोप-पत्र दायर कर चुकी है.