सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में सामान्य स्थिति बहाल करने को कहा
जम्मू कश्मीर पर विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से ‘राष्ट्रीय हितों’ को ध्यान में रखते हुए सामान्य स्थिति बहाल करने को कहा है.
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अबदुल्ला को पेश किए जाने की एमडीएमके के संस्थापक वाइको की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कारण बताओ नोटिस भेजा है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 30 सितंबर की तारीख तय की है.
वाइको ने अपनी याचिका में अपील की है कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अबदुल्ला को अदालत सामने लाया जाए, जिन्हें कथित तौर पर नजरबंद रखा गया है.
वाइको की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या फारूक अबदुल्ला किसी तरह की हिरासत में हैं. इसके जवाब में वाइको के वकील ने बताया कि गृहमंत्री ने कहा है कि अबदुल्ला किसी तरह की हिरासत में नहीं हैं, लेकिन हमें उनका पता-ठिकाना नहीं पता है.
घाटी में मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से कहा कि वे मीडिया की हालत को लेकर हलफनामों का विवरण दें और सामान्य स्थिति बहाल करने के प्रयास किए जाएं.
मीडिया प्रतिबंध को लेकर अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि कश्मीर स्थित सभी समाचार पत्र चल रहे हैं और सरकार हर संभव मदद मुहैया करा रही है. इसके साथ ही प्रतिबंधित इलाकों में पहुंच के लिए मीडिया को ‘पास’ दिए गए हैं और पत्रकारों को फोन और इंटरनेट की सुविधा भी मुहैया कराई गई है.
अटॉर्नी जनरल ने आगे कहा कि दूरदर्शन जैसे टीवी चैनल और अन्य निजी चैनल, एफएम नेटवर्क काम कर रहे हैं.
राज्य में लगाए गए प्रतिबंधों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जनजीवन सामान्य करने, कल्याणकारी सुविधाओं तक लोगों की पहुंच सुनिश्चित करने और स्कूल और कॉलेज खोले जाने को कहा है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए चयनात्मक आधार पर प्रतिबंध हटाए जाएंगे.
राज्य में लगे प्रतिबंधों को लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के बताया कि राज्य में एक गोली भी नहीं चलाई गई और कुछ स्थानीय प्रतिबंध लगे हैं. केंद्र सरकार ने बताया कि कश्मीर के 88 प्रतिशत से अधिक थाना क्षेत्रों से प्रतिबंध हटा दिए गए हैं.
वहीं जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें चार जिलों श्रीनगर, बारामूला, जम्मू और अनंतनाग में जाने की अनुमति दे दी है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आजाद वहां से आने के बाद कोर्ट में अपनी रिपोर्ट दाखिल करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आजाद अपने कहे अनुसार किसी भी तरह का भाषण अथवा कोई सार्वजनिक रैली आयोजित नहीं करेंगे.
गुलाम नबी आजाद ने सुप्रीम कोर्ट में जम्मू-कश्मीर जाने की इजाजत देने के लिए याचिका दायर की थी, ताकि वे अपने परिवार वालों से मिल सकें.
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के न्यायाधीश से इस आरोप पर रिपोर्ट मांगी है कि लोगों को हाई कोर्ट से संपर्क करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अगर लोग हाई कोर्ट से संपर्क करने में असमर्थ हैं तो यह बेहद गंभीर है और वे खुद श्रीनगर जाएंगे.
मुख्य न्यायाधीश ने यह बात सामाजिक कार्यकर्ता इनाक्षाी गांगुली की तरफ से जम्मू-कश्मीर में जेल में बंद 18 साल से कम उम्र के लड़कों से संबंधित उन मामलों की जानकारी मांगने पर की, जिन्हें हाई कोर्ट कमेटी देख रही है.
असल में मुख्य न्यायाधीश ने इनाक्षी गांगुली के वकील से कहा कि वे इस जानकारी के लिए जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट जाएं. इसपर वरिष्ठ वकील हुसेफा अहमदी ने कहा कि ऐसा करना बेहद मुश्किल है क्योंकि हाई कोर्ट आम आदमी की पहुंच से दूर है.
मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा है कि अगर इनाक्षी गांगुली का दावा गलत निकलता है तो इसके परिणाम उन्हें भुगतने होंगे.
वहीं जम्मू-कश्मीर पीपल कॉन्फ्रेंस की तरफ से जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटाए जाने और राज्य में लगे राष्ट्रपति शासन के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करने के लिए सुप्रीम कोर्ट राजी हो गया है. इस याचिका पर इसी तरह की याचिकाओं के साथ अक्टूबर के पहले सप्ताह में सुनवाई की जाएगी.