कुर्द लड़ाकों ने फ्रांस से लगाई मदद की गुहार
सीरिया से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के फैसले के बाद मध्य-पूर्व में हलचल मच गई है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले के बाद सीरिया से अमेरिकी सैनिकों की वापसी शुरू भी हो गई है.
अब सवाल ये उठ रहा है कि अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद बने शून्य की भरपाई कौन करेगा. सीरिया के राष्ट्रपति असद को रूस और ईरान का समर्थन प्राप्त है. फिलहाल आईएसआईएस को सबसे ज्यादा टक्कर कुर्दिश लड़ाकों से मिल रही है. जिनसे असद के शासन को भी खतरा है.
कुर्दिश लड़ाके अमेरिकी सैनिकों की सरपरस्ती में सैन्य ट्रेनिंग ले रहे थे.
अमेरिकी फैसले से चिंतित कुर्दिश नेता अब यूरोप की ओर आशा भरी नजरों से देख रहे हैं. बीते शुक्रवार को एक बड़े कुर्दिश नेता ने सीरिया में बड़ी भूमिका निभाने के लिए फ्रांस को आमंत्रित किया. कुर्दिश नेता इल्हाम अहमद ने कहा बिना बाहरी मदद के वे आईएसआईएस के हाथों लड़ाई हार सकते हैं.
कुर्दिश नेता ने नाटो से अनुरोध किया कि वे तुर्की को उनपर हमला करने से रोकें. फ्रांस नाटो का एक महत्वपूर्ण सदस्य है, जबकि तुर्की भी नाटो का हिस्सा है. तुर्की कुर्दों को अपने लिए खतरा मानती है.
हाल ही में ट्रंप ने आईएसआईएस को हराने की बात की बात कही थी. ट्रंप ने कहा था कि सीरिया में उनका मकसद पूरा हो चुका है. हालांकि सैनिकों को वापस बुलाने की समय सीमा पर ट्रंप प्रशासन ने खुद कोई फैसला नहीं किया है.
यह पूरी तरह से पेंटागन पर छोड़ दिया गया है. जबकि पेंटागन ने फिलहाल इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. उधर रिपब्लिकन सांसद मार्को रूबियो ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सीरिया में सिर्फ आईएसआईएस एकमात्र खतरा नहीं है, वहां सैनकों का महत्व इससे कहीं ज्यादा है.
एक और सांसद जीन शाहीन ने भी ट्रंप के बयान को बचकाना और खतरनाक बताया था.