राजकोषीय घाटा कम दिखाने के लिए आंकड़ों से छेड़छाड़?


CAG questions raising bank guarantee in Rafael Deal

 

नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने कहा है कि सरकार ने पूंजीगत और राजस्व खर्चों को पूरा करने के लिए बजट के बाहर से संसाधन जुटाया है. जाहिर है, मकसद घाटे को कम करके दिखाना है. सीएजी ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट में कहा है कि केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने खर्च को पूरा करने के लिए अलग-अलग स्रोतों से राशि जुटाई. वहीं, कई खर्चों को अगले वित्त वर्ष पर टाल दिया गया है.

केद्र सरकार ने 2020-21 तक वित्तीय घाटे को देश की सकल घरेलू उत्पाद(जीडीपी) का तीन फीसदी से कम रखने का लक्ष्य रखा है. सीएजी ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट में कहा है, “गैर बजट वित्तपोषण को राजकोषीय संकेतकों में जोड़ा नहीं गया है.” इसका मतलब यह हुआ कि वित्त वर्ष 2016-17 के राजकोषीय घाटे को छुपाने के लिए आंकड़ों के साथ छेड़छाड़ की गई है.

संसद में आठ जनवरी को पेश सीएजी की रिपोर्ट में सरकार को ‘गैर बजट वित्तपोषण’ से खर्च करने के लिए एक पॉलिसी फ्रेमवर्क गठित करने का सुझाव दिया गया है. संसद में गैर बजट वित्तपोषण के उदेश्य और खर्च को न्यायसंगत बनाने के लिए सरकार को तीन स्तर पर काम करने की सलाह दी गई है. इसमें सभी गैर बजट वित्तपोषण को संसद के समक्ष रखना शामिल है.

वित्त वर्ष 2016-17 के लिए राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन का अनुपालन (एफआरबीएम) एक्ट, 2003 के आधार पर की गई ऑडिट रिपोर्ट में सीएजी ने बजट के बाहर से होने वाले वित्तपोषण का जिक्र किया है. उदाहरण के लिए, उर्वरक खर्चों को स्थिर दिखाने के लिए सरकार ने ‘अलग से बैंकिग व्यवस्था’ की. इसके साथ ही खाद्य अनुदान बिल के लिए उधार लिया गया. साथ-साथ सिंचाई योजनाओं के लिए नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट(नबार्ड) से दीर्घ अवधि के सिंचाई फंड के तहत उधार लिया गया.

रेलवे परियोजनाओं को पूरा करने के लिए इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉरपोरेशन(आईआरएफसी) के बजट से इतर वित्तपोषण किया गया. इसके साथ ही ऊर्जा से संबंधित परियोजनाओं को पूरा करने के लिए बजट में तय खर्च के अतिरिक्त पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन(पीएफसी) से राशि का इंतजाम किया गया.

इतना ही नहीं, बजट में कई खर्चों को अगले वित्त वर्ष पर टाल दिया गया है. सरकार ने खाद्य अनुदान के लिए साल 2016-17 में 78,335 करोड़ रुपया खर्च दिखाया, जबकि 81,303 करोड़ को अगले वित्तीय वर्ष में दिखाया गया. इसी तरह उर्वरक पर 70,100 करोड़ रुपये खर्च किया गया, जबकि 39,057 करोड़ रुपये खर्च को अगले साल के लिए बढ़ा दिया गया. सीएजी ने कहा है कि गैर बजट वित्तपोषण में पारदर्शिता की कमी है और इससे भविष्य में राजकोषीय दिक्कतें बढ़ सकती हैं.

हालांकि सरकार ने सीएजी के आरोपों को खारिज किया है. उसने कहा कि साल 2018 में एफआरबीएम एक्ट में बदलाव के बाद यह कहना गलत होगा कि गैर बजट वित्तपोषण पर संसद का सीधा नियंत्रण नहीं रहा है. सरकार साल 2018 में वित्त एक्ट, 2018 लाई थी. इसके बाद एफआरबीएम की संरचना में बदलाव हुआ है. एफआरबीएम पर बनी समीक्षा कमेटी की अनुशंसा पर यह बदलाव लाया गया था.

जबकि सीएजी ने कहा है कि आगामी वित्तीय वर्ष में खर्च को स्थिर दिखाने के लिए गैर बजट वित्तपोषण का इस्तेमाल किया गया है. जबकि इस ली गई राशि का जिक्र राजकोषीय घाटे में नहीं है.सीएजी ने कहा है, “सरकार ने बकाया अनुदान को पूरा करने के लिए अलग से उधार लिया है. वहीं, उधार ली गई राशि पर अगले साल अतिरिक्त ब्याज चुकाना होगा.”

सीएजी ने गैर बजट वित्तपोषण का उदेश्य, इसके तहत ली गई कुल राशि, वित्तपोषण के स्रोतों के साथ-साथ उधार चुकाने के तरीकों को सदन में बताने का सुझाव दिया है.

सीएजी का दूसरा सुझाव है कि सरकार के अधीन काम करने वाले सभी संस्थानों को वित्तीय वर्ष में लिए गए सभी गैर बजट वित्तपोषण का खुलासा करना चाहिए.

सीएजी रिपोर्ट में बजट में सभी गैर बजट वित्तपोषण का खुलासा करने को कहा गया है.


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