सितंबर-नवंबर में औसत से अधिक रहेगा तापमान: WMO
वर्ल्ड मेटरोलॉजिकल आर्गेनाइजेशन के अनुसार एल नीनो के उदासीन हो जाने के बाद भी दुनिया भर के अधिकतर हिस्से अगले तीन महीनों में सामान्य से अधिक गर्म रहने वाले हैं.
एल नीनो मध्य और प्रशांत महासागर में होने वाली प्राकृतिक परिघटना है. इसकी वजह से दुनिया भर के तापमान में बढ़ोतरी होती है साथ ही इससे अत्यधिक बारिश, बाढ़ और सूखा का भी खतरा रहता है. भारत में यह दक्षिणी-पश्चिमी मानसून पर प्रभाव डालता है और यह औसत से कम बारिश के साथ जुड़ा हुआ है.
अक्टूबर 2018 तक एल नीनो कमजोर स्थिति में था, जुलाई में यह उदासीन हो गया. इससे दक्षिणी-पश्चिमी मानसून को गति पकड़ने में मदद मिली.
वर्ल्ड मेटरोलॉजिकल आर्गेनाइजेशन ने बताया कि उदासीन हो जाने के बाद भी एल नीनो के प्रभाव को महसूस किया जाएगा. सितंबर से नवंबर के बीच दुनिया भर के अधिकतर हिस्सों में तापमान औसत से अधिक रहेगा.
संस्था ने बताया कि इसका प्रभाव भारत समेत एशिया के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में और अधिक महसूस किया जाएगा.
संस्था के वैज्ञानिकों के अनुसार, “एल नीनो के कथित उदासीन महीनों के दौरान प्रशांत महासागर के पूर्वी उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में समुद्र तल का तापमान और हवाओं के तापमान में सामयिक परिवर्तन ने ज्यादातर उष्णकटिबंधीय और उप-उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों की जलवायु पर प्रभाव डाला. और, हाल ही में जलवायु परिवर्तन की वजह से समुद्रीय गर्मी, हवा और समुद्र तल के तापमान में वृद्धि हुई है.”
संस्था ने आगे बताया कि ग्रीनहाउस गैसों में समाहित ऊर्जा का 90 फीसदी हिस्सा समुद्रों में जाने से उनका तापमान 2018 में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था.