मई में व्यापार घाटा पहुंचा छह महीने के उच्चतम स्तर पर
बीते मई के महीने में भारत का व्यापार घाटा छह महीने के अधिकतम स्तर पर पहुंच गया है. इस दौरान ये 15.4 अरब डॉलर पहुंच गया. ऐसा निर्यात के मुकाबले आयात में तेजी आने से हुआ है. इस दौरान सोने के आयात में 37 फीसदी का उछाल आया.
वाणिज्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक निर्यात में 3.93 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई, जबकि आयात में 4.31 फीसदी की वृद्धि हुई. बीते सात महीनों में से छह महीने निर्यात एक अंक में रहा, सिर्फ मार्च के महीने में ये दो अंकों को छू सका.
फिलहाल ये स्थित ठीक होने के बजाय और खराब होने की संभावना ज्यादा है. इसके पीछे कच्चे तेल के दामों में तेजी है. ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध के बाद भारत के लिए तेल आयात के विकल्प सीमित हो गए हैं. इसके चलते आयात बिल और बढ़ना निश्चित है. जिसका सीधा असर चालू खाते के घाटे पर पड़ेगा.
इस बीच मई के महीने में चीन का निर्यात 1.1 फीसदी बढ़ा वहीं निर्यात में 8.5 फीसदी की कमी आई. इसके फलस्वरूप उसके ट्रेड सरप्लस में अनुमान से कहीं अधिक बढ़त दर्ज की गई.
जानकारों के मुताबिक चीन और अमेरिका के बीच ट्रेड वार और बढ़ते संरक्षणवाद का असर भारत के निर्यात पर पड़ रहा है.
इससे पहले विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) ने मार्च में कहा था कि इस साल व्यापार वृद्धि 3.9 फीसदी से गिरकर 3.7 फीसदी पर पहुंच जाएगी. कहा जा रहा है कि अगर स्थितियां ऐसी ही रहीं तो स्थिति और खराब हो सकती है.
दूसरी ओर आईएमएफ ने पहले ही वैश्विक विकास दर के अनुमान में 20 आधार अंकों की कमी की है. इस दौरान ये 2008 के बाद सबसे कम 3.3 फीसदी रहने की संभावना है.
गिरती वैश्विक विकास दर के पीछे कई वजहें बताई जा रही है. इसमें ट्रेड टेंशन, ईरान मामला, यूरोप में धीमी गति और ब्रेक्सिट को लेकर अनिश्चितता प्रमुख हैं.
इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के अध्यक्ष रवि सहगल कहते हैं “मई में निर्यात वृद्धि कमजोर रही, अब सरकारी दखल की तुरंत जरूरत है. इंजीनियरिंग सेक्टर के लिए कच्चे माल जैसे स्टील की अंतरराष्ट्रीय कीमतों पर खरीदने की जरूरत है. राजकोषीय राहत के लिए निर्यातकों की नजर आगामी बजट पर है.”