हंगामों के बीच लोकसभा में तीन तलाक बिल पेश
मोदी सरकार ने एक बार फिर तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) बिल को लोकसभा में पेश किया है. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मुसलिम समाज में एक बार में तीन तलाक पर रोक लगाने के मकसद से जुड़ा विधेयक को पेश किया है.
विपक्ष के हंगामों के बीच ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक, 2019’ को लोकसभा में पेश किया गया है. विपक्षी पार्टी के मांगों की वजह से लोकसभा में तीन तलाक को पास कराने के लिए फिर से वोटिंग की जाएगी.
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं को न्याय और सम्मान दिलाना हमारा कर्त्वय है. यह बिल नारी की गरिमा और उसके इंसाफ का सवाल है.
रविशंकर प्रसाद ने यह भी कहा, “मुझे उम्मीद थी कि इस मुद्दे पर चुनाव हारने के बाद विपक्ष इस बिल पर रुकावट पैदा नहीं करेगी मगर विपक्ष पहले की तरह ही बिल का विरोध कर रही है.”
विपक्ष ने बिल में सजा के नियमों पर आपत्ती जताई है.
‘एआईएमआईएम’ के प्रमुख असदउद्दीन ओवैसी ने अपनी बात रखते हुए बिल के ड्राफ्ट का पुरजोर विरोध किया. ओवैसी ने कहा, “बिल के मुताबिक तीन तलाक देने वाले पति को जेल भेजने का प्रावधान है. ऐसे में अगर पति जेल चला जाता है तो पत्नी का खर्च कौन उठाएगा?”
कांग्रेस के तरफ से शशि थरुर ने तीन तलाक बिल को संविधान के खिलाफ बताया है.
20 जून को राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने 17वें लोकसभा को संबोधित करते हुए संसद के संयुक्त सत्र में तीन तलाक और निकाह हलाला को खत्म करने की बात कही है.