कश्मीर मुद्दे पर ट्रंप के सहयोगी ने कहा, मनगढ़ंत नहीं ट्रंप की बातें
कश्मीर पर मोदी को लेकर ट्रंप के दावे के बाद भारत और अमेरिका दोनों देशों को काफी सवालों का सामना करना पड़ा. दोनों पक्षों से सफाई पेश की जाती रही. अमेरिका में भी ट्रंप के दावे से हुए नुकसान की भरपाई करने की कोशिश होती रही.
इस बीच दोनों नेता दोहरे दबाव में फंसे हुए नजर आए. एक ओर झूठा साबित होने का दबाव दूसरी ओर विदेश नीति का दबाव.
ट्रंप ने दावा किया था कि जी-20 सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता करने की पेशकश की थी.
लेकिन इस मामले में ट्रंप और मोदी की ओर से प्रत्यक्ष तौर कोई बयान नहीं दिया गया. भारत में मोदी की ओर से विदेशी मंत्री एस जयशंकर ने मोर्चा संभाला. जयशंकर ने राज्यसभा में सफाई पेश की और कहा कि प्रधानमंत्री ने ऐसा कोई भी प्रस्ताव नहीं रखा है. भारत कश्मीर के मुद्दे पर अपने पुराने रुख पर कायम रहेगा.
उधर अमेरिका में ट्रंप की ओर से उनके एक शीर्ष सहयोगी ने अपने राष्ट्रपति की साख को बचाने का प्रयास किया. ट्रंप के मुख्य आर्थिक सलाहकार लैरी कुडलो ने एक रिपोर्टर के सवाल पर कहा कि राष्ट्रपति ने ये बातें अपने मन से नहीं गढ़ीं हैं.
जब रिपोर्टर ने लैरी से पूछा कि भारत कह रहा है कि ट्रंप का दावा सच्चाई से बहुत दूर है. तो क्या ट्रंप बातें बना रहे हैं?
इस पर लैरी ने कहा, “नहीं, राष्ट्रपति ने कोई बात बनाई नहीं है. मेरे नजरिए से ये बहुत रूखा सवाल है. मैं यहीं कहूंगा कि ये मेरे अधिकार क्षेत्र की बात नहीं है.”
लैरी ने कहा कि इस बारे में सिर्फ राष्ट्रपति, बोल्टन और पोम्पियो ही बयान दे सकते हैं. इसलिए मैं इस मुद्दे पर कुछ नहीं बोलने जा रहा.
बीते कुछ समय पहले भी लैरी ऐसा ही कहकर टिप्पणी करने से इनकार कर चुके हैं. ये ट्रंप के उस ट्वीट के बारे में था, जहां ट्रंप ने चार महिला सांसदों पर नस्लवादी टिप्पणी की थी.
लैरी से जब इस पर टिप्पणी करने को कहा गया था तब उन्होंने यही जवाब दिया था.
इससे पहले अमेरिका की ओर से जारी आधिकारिक बयान में ट्रंप की टिप्पणी के बाद उठे विवाद को शांत करने की कोशिश की गई थी. इस बयान में कहा गया था कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान का आपसी मुद्दा है. अमेरिका इस विवाद पर होने वाली बातचीत का स्वागत करेगा.