यूएस महिला फुटबॉल टीम ने कार्यक्षेत्र में लिंग समानता की मांग की
चार बार विश्व चैम्पियनशिप जीत चुकी अमेरिका महिला फुटबॉल टीम ने अपनी भूमिका को केवल मैदान तक नहीं समेटे रखा है. वो आज मैदान में और मैदान के बाहर मुखर होकर मानव अधिकार के मुद्दों को उठा रही हैं.
यह टीम अपनी काबिलियत के दम पर अब तक रही सभी अमेरिकी टीमों में सबसे आगे निकल आई है. समावेशी टीम और नजरिए के साथ अमेरिकी महिला फुटबॉल टीम ने कार्यक्षेत्र में लिंग समानता और समान वेतन का मुद्दा उठाया है. टीम ने यूएस फुटबॉल फेडरेशन से पुरुष टीम के समान वेतन की मांग करते हुए कुछ समय पहले कानूनी नोटिस भेजा था.
यह दिखाता है टीम ने अपनी प्रसिद्धी का इस्तेमाल लोगों में जागरुकता लाने के लिए किया है.
टीम की कोच समेत कुल 5 लेस्बियन खिलाड़ी इस बार प्लेइंग 11 का हिस्सा रहे. ये टीम दुनिया भर में समलैंगिक अधिकारों की प्रेरणा बन गई है.
अमेरिकी राष्ट्रपति के आवास ह्वाइट हाउस पर ना जाने के मेगन रापिनो के फैसले के बाद पूरी टीम उनके साथ खड़ी दिखी. चौथी बार विश्व चैम्पियनशिप का खिताब अपने नाम करने के बाद अमेरिकी टीम की स्टार फुटबॉल खिलाड़ी रापिनो ने कहा, “मुझे बहुत खुशी हो रही है और मुझे लग रहा है कि ये टीम हमारे आस-पास की दुनिया को बदलने वाली है.”
देखा जाता है कि खिलाड़ी अक्सर किसी भी तरह का पॉलिटिकल स्टैंड लेने से बचते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि ऐसा करने से उनका करियर खतरे में आ सकता है. एथलीट मोहम्मद अली और हाल ही में कोलिन केपरनिक जैसे खिलाड़ियों अपना पॉलिटिकल स्टैंड लेते रहे हैं. कुछ समय पहले एनबीए और डब्लूएनबीए की टीमों ने वॉर्म-अप आउटफिट पहनकर पुलिस की बर्बरता का विरोध किया था और ब्लैक लाइव्स मैटर नामक आंदोलन के प्रति समर्थन दिखाया था.
टीम ने फीफा विश्व से पहले मार्च में यूएसएसएफ को कानूनी नोटिस भेजते हुए समान वेतन के मांग की थी. मुकदमे के लिए टीम की प्रवक्ता कहती है, “ये खिलाड़ी आपको अच्छा रेवेन्यू देती हैं, ऊंची टीवी रैटिंग्स भी देती हैं पर उन्हें कम वेतन दिया जाता है बस इसलिए क्योंकि वो महिला है.अब समय आ गया है कि फेडरेशन अपनी गलती हमेशा के लिए सुधारे.”
टूर्नामेंट खत्म हो गया है और अब उम्मीद है कि टीम और फेडरेशन के बीच इस मुद्दे पर मध्यस्थता हो सकती है.
अमेरिका में समलैंगिक अधिकारों के सबसे बड़े संगठन ह्यूमन राइट कैंपेन की प्रवक्ता मैटलिडा यंग कहती हैं कि टीम के समावेशी होने का संदेश काफी दूर तक जाएगा.
यंग ने कहा, “अब तक जिन युवा समलैंगिक खिलाड़ियों का टीम में स्वागत नहीं किया जाता था, उन्हें इस चैम्पियनशिप में अपनी काबिलियत साबित करने का मौका मिला. अमेरिका के कौने-कौने से लोगों ने इस टीम के खिलाड़ियों को अपना प्यार भेजा है. इन खिलाड़ियों को अपने देश और अपनी पहचान पर गर्व है. इन्होंने विश्व भर के खिलाड़ियों में एक बड़ा संदेश भेजा है.”
देश के नेशनल लॉ सेंटर ने यूएस टीम की जीत पर उन्हें बधाई दी. कार्यक्षेत्र और मैदान में समान अधिकारों की मांग करने वाले सेंटर ने टीम खिलाड़ियों के मुखर होने का रास्ता नहीं रोका और हमेशा प्रोत्साहन किया. सेंटर टीम की मजबूती की सहारना करते हुए कहता है कि “ये टीम इतनी प्रभावी इसलिए है क्योंकि ये साथ काम करती है.”