विवादित विधेयक के विरोध में चीन में हिंसक झड़प
हांगकांग की संसद में जबरन घुसने की कोशिश कर रहे प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प हुई है. प्रदर्शनकारी चीन में प्रत्यर्पण संबंधी विवादास्पद विधेयक के विरोध में हैं. विधेयक में हांगकांग के मामले को चीन में चलाने का प्रावधान है.
पुलिस ने काले कपड़े पहने प्रदर्शनकारियों की भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया, रबर की गोलियां दागीं और लाठीचार्ज भी किया. प्रदर्शनकारियों में अधिकतर लोग युवा और छात्र हैं.
प्रदर्शनकारियों ने चीन में प्रत्यर्पण को अनुमति देने वाले विवादास्पद विधेयक से पीछे हटने के लिए सरकार को एक समय सीमा दी थी, जिसके समाप्त होने के कुछ समय बाद झड़पें शुरू हो गईं. ये झड़पें शहर में पिछले कई बरसों में हुई सबसे भीषण हैं.
विधेयक पर चर्चा को बाद की तारीख के लिए टालना पड़ गया है. दरअसल, संसद के बाहर सभी प्रमुख मार्गों पर प्रदर्शनकारियों ने कब्जा कर लिया है.
इस दृश्य ने 2014 के ‘अंब्रेला मूवमेंट’ की यादें ताजा कर दीं, जब प्रदर्शनकारियों ने व्यापक लोकतांत्रिक अधिकारियों की मांग करते हुए दो महीने तक शहर को बंद रखा था.
सरकार को दी गई समय सीमा समाप्त होने के बाद प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन में जबरन घुसने की कोशिश की है.
समय सीमा समाप्त होते ही प्रदर्शनकारियों ने ‘लेजिस्लेटिव काउंसिल’ कार्यालयों की ओर बढ़ना शुरू कर दिया. प्रदर्शनकारियों को दंगा पुलिस पर धातु की छड़ें और अन्य चीजें फेंकते देखा गया.
पुलिस ने छातों का कवच की तरह इस्तेमाल कर रहे प्रदर्शनकारियों पर पहले लाठीचार्ज किया, फिर उन पर काली मिर्च का छिड़काव किया और बाद में आंसू गैस का इस्तेमाल किया.
‘लेजिस्लेटिव काउंसिल’ (लेगको) में विधेयक पर बहस से पहले शहर के बीच एकत्र हुए प्रदर्शनकारियों की संख्या दंगा पुलिस की संख्या से बहुत ज्यादा थी.
शहर के मुख्य सचिव मैथ्यू चेउंग ने प्रदर्शनों के खिलाफ पहली आधिकारिक प्रतिक्रिया देते हुए प्रदर्शनकारियों से पीछे हटने की अपील की है.
उन्होंने एक वीडियो संदेश में कहा, ‘‘मैं एकत्र हुए लोगों से अधिकतम संयम बरतने, शांतिपूर्ण रूप से तितर-बितर होने और कानून का उल्लंघन नहीं करने की अपील करता हूं.’’