खराब मानसून का भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या होगा प्रभाव?


what are the impact of deficient monsoon on economy

 

केरल में आठ दिन की देरी से पहुंचा मानसून फिलहाल धीमी गति से पूर्वी भारत के हिस्सों में पहुंच रहा है. इस समय अमूमन मानसून का साथ देने वाली तेज हवाओं की कमी है. मौसम विभाग की ओर से मिल रही जानकारी के मुताबिक बंगाल की खाड़ी में 4-5 दिनों के भीतर कम दबाव का क्षेत्र बन सकता है, जिससे तेज हवाओं में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी.

लाइव मिंट के मुताबिक निजी एजेंसी स्काईमेट ने अनुमान जताया है कि जून में वर्षा सामान्य से 40 फीसदी तक कम रह सकती है. स्काईमेट के मुताबिक यह लगातार तीसरा साल है जब बारिश सामान्य से कम रहने की संभावना है. इस बात की काफी संभावनाएं हैं कि जुलाई में भी सामान्य से कम बारिश रहे. मौसम विभाग के मुताबिक लंबे समय से जुलाई में औसतन 89 सेंटीमीटर बारिश होती रही है. इस बार यह सामान्य से 5 फीसदी कम रह सकती है.

क्या स्थिति है खरीफ फसलों की बुआई की?

14 जून तक के आंकड़ें बताते हैं कि अब तक देश में 80 लाख 22 हजार हेक्टेयर भूमि पर खरीफ फसलों की बुआई की गई है. कृषि विभाग के डाटा अनुसार ये बुआई बीते साल से नौ फीसदी कम है. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण दक्षिण-पश्चिम मानसून की धीमी रफ्तार माना जा रहा है. जून में अब तक सामान्य से 43 फीसदी तक कम बारिश हुई है. अधिकतर खरीफ फसलों की बुआई असिंचित क्षेत्रों में की जाती है, ऐसे में यह पूरी तरह मॉनसून में होने वाली बारिश पर निर्भर करती हैं.

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पिछले साल की तुलना में इस साल धान बुआई के क्षेत्र में कमी आई है. बीते साल इस समय तक 5,47,000 हेक्टेयर क्षेत्र में बुआई की गई थी, जबकि इस बार 4,26,000 हेक्टेयर क्षेत्र में धान की बुआई की गई है. इन आंकड़ों को अहमियत इसलिए दी जानी चाहिए क्योंकि इस समय तक अधिकतर इलाकों में खरीफ फसलों की बुआई हो जाती है.

क्या फलों और सब्जियों के दाम बढ़ जाएंगे?

यह जरूरी नहीं है कि फसलों के उत्पादन में कमी का सीधा असर आवश्यक वस्तुओं के दमों पर पड़े. पिछले दो वर्षों में अच्छी फसल के चलते कृषि उत्पादों के दामों में गिरावट आई है. यही वजह है कि खाद्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना से लाभांवित लोगों को अगले छह महीने तक 2-2 किलो अतिरिक्त चावल और गेंहू देने की घोषणा की है.

पिछले कुछ महीने तक अधिकतर कृषि उत्पादों के दाम बाजार में न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी नीचे थे. यह स्थिति फिलहाल कुछ बेहतर हुई है. मई में थोक महंगाई सात महीने के सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच कर 3.05 फीसदी हो गई.

क्या है राज्य सरकारों की तैयारी?

कृषि मंत्रालयों ने राज्यों से सभी स्थितियों से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा है. एक तरफ जहां बारिश में कमी देखी जा रही है वहीं दूसरी ओर देश में केंद्रीय जल आयोग (सीडब्लूसी) के अंतर्गत आने वाले 91 जलाशयों के जल स्तर में गिरावट दर्ज की गई है. सीडब्लूसी की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक इन जलाशयों में जल स्तर 18 फीसदी तक कम हुआ है. ऐसे में जलाशयों से मदद नहीं ली जा सकती है.

तेलंगाना सरकार ने किसानों को खरीफ की बुआई टालने का सुझाव दिया है, वहीं पंजाब और हरियाणा सरकार ने किसानों को धान के अलावा दूसरी फसलों की बुआई का सुझाव दिया है.

क्या मानसून की धीमी रफ्तार अर्थव्यवस्था को करेगी प्रभावित?

जीडीपी में कृषि क्षेत्र की भागीदारी लगातार घट रही है हालांकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की क्रय शक्ति का इतना महत्त्व कभी नहीं रहा है. ऑटोमोबाइल क्षेत्र में पहले से ही नियामक और संरचनात्मक परिवर्तनों के बाद यह स्थिति ज्यादा खतरनाक हो सकती है. हिंदुस्तान यूनिलीवर, डाबर और ट्रैक्टर निर्माता एम एंड एम, एस्कॉर्ट जैसी एफएमसीजी संस्थाएं ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाली ब्रिकी पर निर्भर अधिक करती हैं.

कृषि आय में कमी से यह सब कुछ प्रभावित होगा. इसके अलावा सीमेंट और पेंट बनाने वाली कंपनियां भी इससे प्रभावित हो सकती है.


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