सूचना आयुक्तों की शॉर्टलिस्ट में सिर्फ नौकरशाहों के नाम क्यों?: सुप्रीम कोर्ट


supreme court rejects all review petition in ayodhya verdict

 

सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार से सवाल किया है कि सूचना आयुक्तों की नियुक्तियों के लिए खोज समीति ने सिर्फ नौकरशाहों की ही लिस्ट क्यों तैयार की है.

इस मामले में जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की पीठ को सरकार की तरफ से पेश अतरिक्त सॉलिसिटर जनरल पिंकी आन्नद ने बताया कि मुख्य सूचना आयुक्त के साथ चार सूचना आयुक्त की नियुक्ति हो चुकी है. बाकी सूचना आयुक्त की नियुक्ति के लिए चयन समीति के सामने 14 नाम की सिफारिश की गई थी.

इसके बाद पीठ ने पिंकी आन्नद से सवाल किया, “इन 14 नामों में नौकरशाह के अलावा भी कोई नाम है?”

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पिंकी आन्नद ने इसके जवाब में कोर्ट को बताया कि इनमें से एक रिटायर्ड जज हैं और बाकी सब नौकरशाह हैं.

सुप्रीम कोर्ट इस मामले में आरटीआई कार्यकर्ता अंजली भारद्वाज, कमोडोर लोकेश बत्रा और अमृता जौहरी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

इनकी याचिका में आरोप लगाया गया है कि सीआईसी के पास 23,500 मामले लंबित हैं जबकि सूचना आयुक्तों के पद खाली हैं.

इसके साथ ही याचिकाकर्ताओं के वकील प्रणव सचदेव ने कहा कि राज्य में भी सूचना आयुक्तों का पद खाली होने की वजह से सालों तक मामला लंबित पड़ा रह जाता है.


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