ताउम्र अमेरिका के नाक में दम करने वाले कास्त्रो


दुनिया भर में कम्युनिस्टों के प्रेरणा स्रोत और क्यूबाई क्रांति के नेता फिदेल कास्त्रो की आज दूसरी पुण्यतिथि है. दो साल पहले 25 नवंबर को ही 90 साल की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई थी.

फिदेल कास्त्रो का जन्म 13 अगस्त 1926 को क्युबा के बाइरन में हुआ था.

फिदेल कास्त्रो ने 1959 में हिंसक क्रांति के जरिए क्युबा में अमेरिका का समर्थन प्राप्त तानाशाह बटिस्टा की सत्ता उखाड़ फेंकी थी. इसके बाद उन्होंने क्युबा में पांच दशक तक शासन किया था.

पांच दशकों तक शासन करने के बाद उन्होंने क्युबा की सत्ता कम्युनिस्ट पार्टी के नेता राउल कास्त्रो को सौंप दिया था.

फिदेल कास्त्रो अमेरिकी सम्राज्यवाद के कट्टर विरोधी थे. शीत युद्ध के बाद जब सारी दुनिया अमेरिका के आगे नतमस्तक थी तब अमेरिका के बगल में ही फिदेल कास्त्रो उसकी साम्राज्यवादी नीतियों का जमकर विरोध कर रहे थे. माना जाता है कि अमेरिका ने अपनी खुफिया एजेंसी सीआईए के जरिए फिदेल कास्त्रो को मरवाने की कई नाकामयाब कोशिशें की थीं.

फिदेल कास्त्रो इस तस्वीर में महान मुक्केबाज मोहम्मद अली के साथ दिख रहे हैं. अमेरिकी मुक्केबाद मोहम्मद अली भी अमरीकी सम्राज्यवाद के विरोधी माने जाते थे. उन्होंने वियतनाम युद्ध में अमेरिका का विरोध किया था.

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के साथ फिदेल कास्त्रो की यह एक विरल तस्वीर है. 1973 और 1983 में वो भारत दौरे पर आए थे.


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