जानें जीसेट-7A की खास बातें


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आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से आज प्रक्षेपित हुआ भारत का संचार उपग्रह जीसेट-7A इसरो की शानदार अंतरिक्ष उपलब्धियों के सिलसिले की अगली कड़ी है. इसरो ने उपग्रह जीसैट-7ए को सलफलतापूर्वक लांच कर लिया है.

इस संचार उपग्रह की मदद से भारतीय वायु सेना अपने विभिन्न भू-रडार स्टेशनों, हवाई अड्डों और हवाई मार्ग में ही दुश्मन मिसाइलों की पहचान करने में समर्थ आधुनिक एयरक्राफ्ट अवेकस (एयरबोर्न वार्निंग एण्ड कंट्रोल सिस्टम) को इंटरलिंक कर सकेगी. यह वायु सेना की नेटवर्क-केंद्रित युद्ध गतिविधियों की क्षमता बढ़ाने में भी मदद करेगी.

सैटेलाइट-कंट्रोल की मदद से यूएवी विमान लम्बी दूरी तक वार करने में समर्थ हो जाते हैं, साथ ही उन्हें अधिक लचीलेपन के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है. जीसेट-7A की मदद से ड्रोन विमान दुश्मन ठिकानों की निगरानी भी अधिक तेजी से कर सकेगा.

इस उपग्रह को तैयार करने में लगभग 500-800 करोड़ की लागत आई है और इसमें केयू बैंड का इस्तेमाल किया गया है. केयू बैंड से उपग्रह द्वारा भेजे जाने वाले सिग्नल की गुणवत्ता अच्छी रहती है. सिग्नल पर वायुमंडलीय हलचलों का प्रभाव भी कम पड़ता है.

सैटेलाइट लॉन्चिंग से पहले वायु सेना अध्यक्ष बीएस धनोआ ने कहा कि इससे संचार तकनीक के जरिए विमानों की संचार क्षमताओं में वृद्धि संभव हो सकेगी.


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