दिल्ली की सड़कों पर उतरा किसानों का गुस्सा


kisan mukti march for loan waiver and msp in delhi

देश भर के किसान फसलों के उचित दाम और कर्ज माफी की मांग लेकर दिल्ली में एकजुट हुए हैं. 29-30 नवंबर, दो दिनों तक चलने वाले ‘किसान मुक्ति मार्च’ के लिए आम जनता भी किसानों का साथ देने सड़कों पर उतरी है.

आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और अन्य राज्यों के किसान अपनी मांगों के साथ दिल्ली में जुटे. किसानों की प्रमुख मागों में ‘किसान ऋणमुक्ति विधेयक’ और ‘किसान (कृषि उत्पाद लाभकारी मूल्य गारंटी) अधिकार विधेयक’ शामिल हैं.

मौसम की मार बीमा कंपनियों की मनमानी के चलते किसान कर्ज के बोझ तले दबते जा रहे हैं. यही वजह है कि किसान लगातार आत्महत्या कर रहे हैं. दूसरी ओर सरकारी नीतियों के चलते देश की खाद्य सुरक्षा खतरे में है. मजबूर किसान अपनी मांगो को लेकर ‘अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति’ (AIKSCC) के मंच तले इकट्ठा हुए हैं.

मोदी सरकार किसानों से राहत के वादे करती रही है, लेकिन अपने हक की मांग करने वाले किसानों का हर बार दमन किया गया है. पिछले साल मध्‍य प्रदेश के मंदसौर में किसान हड़ताल के दौरान पांच किसानों को गोली मार दी गई. इसी साल दिल्‍ली आ रहे हजारों शांतिपूर्ण किसानों को बॉर्डर पर ही रोक कर उन पर लाठीचार्ज, आंसू गैस और वाटर कैनन से हमला किया गया.

2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ने अच्छे दिन का झूठा वादा करते हुए, देश के किसानों से कर्ज माफी और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुरूप फसलों का डेढ़ गुना दाम देने का वायदा किया था. लेकिन साढ़े चार साल बीत जाने के बाद भी सरकार ने ना सिर्फ देश के किसानों के साथ धोखा किया बल्कि अपनी गलत नीतियों के चलते देश को आर्थिक कंगाली के कागार पर खड़ा कर दिया है.

किसान मोदी सरकार की किसान-विरोधी नीतियों के खिलाफ 30 नवंबर को रामलीला मैदान से संसद मार्ग तक मार्च करेंगे. दिल्ली पुलिस ने बताया कि 30 नवंबर की रैली के लिए उन्होंने व्यापक बंदोबस्त किए हैं.

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