सानिया मिर्ज़ा: खेल की दुनिया का स्त्रीवादी चेहरा


sania mirza with her son izhaan

सानिया मिर्जा खेल की दुनिया में ऐसा नाम है जिनकी आवाज मर्दवादी सोच को चुनौती देती रही है. 2012 में एक ऐसे ही सिलसिले में उन्होंने टेनिस एसोसिएशन को खत लिखकर लैंगिक समानता का आईना दिखाया था.

खत में सानिया ने लिखा था मैं देश को मेडल दिलाने के लिए लिएंडर पेस, महेश भूपति, रोहन बोपन्ना, सोमदेव देवरमन, विष्णु वर्धन या किसी के साथ भी खेल सकती हूँ. लेकिन यह फैसला सिर्फ लिएंडर पेस, महेश भूपति और टेनिस एसोसिएशन नहीं कर सकते है कि मैं किसके साथ खेलूंगी. इस फैसले में मेरा भी उतना ही हक है जितना कि किसी और का. मैं एक विकल्प बनाए जाने के खिलाफ हँ जो मेरी गरिमा को ठेस पहुंचाती है. मैं खुद के लिए फख़्र महसूस करती हूँ कि मुझे लिएंडर पेस जैसे बेहतरीन खिलाड़ी के साथ खेलना है. लेकिन जिस तरह से इस फैसले में उनकी राय तो शामिल थी लेकिन मुझसे पूछा नहीं गया यह टेनिस एसोसिएशन के पुरुष वर्चस्व वाले चेहरे को दिखाता है. यह एक पुरुषवादी सोच के साथ भारतीय नारीत्व का अपमान है. मैं इसके खिलाफ कड़ी आलोचना में खड़ी हूँ.

खेल की दुनिया में इस तरह की प्रगतिशील सोच के साथ चलने वाली सानिया मिर्जा को कुछ दिन पहले ही एक फेसबुक पेज Modi Government से फेक तस्वीरों के साथ ट्रोल किया गया. इस पोस्ट में वर्तमान राजनीति को सहिष्णु घोषित करते हुए यह बताया गया है कि सानिया भारत में आधुनिक कपड़ें पहनती हैं और पाकिस्तान जा कर बुर्का ओढ़ लेती है. पोस्ट में मशहूर अदाकार नसीरुद्दीन शाह को गाली से सम्बोधित करते हुए यह सब कहा गया है. कुछ महीने पहले ही नसीरुद्दीन ने कहा था वर्तमान राजनीति से देश का माहौल असहिष्णु है जिसे लेकर मैं फ्रिकमंद हूँ. तस्वीर की पड़ताल से यह मालूम हुआ कि बुर्के वाली तस्वीर पाकिस्तान की नहीं है बल्कि सउदी अरब की है. सानिया मिर्जा 2006 में अपने माँ-बाप के साथ वहां उमरा करने गई थी. बुर्का वाली तस्वीर भी तभी की है.

यह तस्वीर उनके तीन महीनें के बेटे इज़हान की है.

आखें सितारों को देखती है और पांव ज़मीं पर हैं. इज़हान के इंतजार में सानिया मिर्जा.

सभी तस्वीरें – ट्विटर से साभार


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