चाय बगान में गुलज़ार ज़िंदगी


यह बोडो महिला अपने घर के पास एक छोटे से पोखर में मछली मारने जा रही है. हालांकि ज्यादातर बोडो महिलाएं चाय बगान में ही मजदूरी करती हैं.

उनका सारा दिन चाय बगान में ही गुजरता है.

जब ये महिलाएं अपना काम खत्म कर लौटती हैं तो दिनभर में उन्होंने जितनी चाय की पत्तियां तोड़ी है, उसका वजन करती है. उन्हें प्रति 21 किलोग्राम के लिए 167 रुपये मिलते हैं.

रविवार को चाय बगान में छुट्टी का दिन होता है. इसलिए उस दिन सभी अच्छे कपड़े पहन हाट और चर्च में जाते हैं. ये लड़कियां सजधज तैयार होकर चाय बगान में हाथी देखने जा रही हैं. दिन के वक्त हाथी चाय बगान में घूमते हैं और रात में वे बगल के धान के खेतों में घुस जाते हैं.

चाय बगान के एक कामगार ने बताया कि हाथी चाय की पत्तियां खाना पसंद नहीं करते लेकिन वो चाय बगान को रौंद देते है और चाय के पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं.

ये बोडो बुजुर्ग घर में बनी शराब पी रहे हैं. उन्होंने बताया कि ये उन्हें ठंडा रखता है.

सभी तस्वीरें – गुरमीत सप्पल


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