लैंगिक समानता के हक में फुटबॉल स्टार मार्ता ने उठाई आवाज
फीफा महिला विश्व कप में ब्राजील की स्टार फुटबॉलर मार्ता द सिल्वा ने अपने विश्वास और जुनून से करोड़ों लोगों को उत्साह बढ़ाया है. दुनिया भर से सराहना बंटोर रही मार्ता इन दिनों समान मेहनताना के समर्थन में ‘गो इक्वल’ के लोगो वाले जूते पहनकर खेल रही हैं.
13 जून को ऑस्ट्रेलिया और ब्राजील के बीच हुए मैच में मार्ता ने विश्व कप में अपना 16वां रिकॉर्ड गोल करने के बाद अपने जूतों की ओर इशारा किया. दरअसल उनके जूतों पर लैंगिक समानता का संदेश देता हुआ एक चिन्ह बना हुआ है.
इस अंतरराष्ट्रीय मंच पर मार्ता का ये संदेश करोड़ो दर्शकों तक पहुंचा है. लैंगिक समानता का संदेश देने के लिए मार्ता ने मैच में अपने जूतों के लिए कोई स्पॉन्सरशिप नहीं ली. यही वजह है कि उनके जूतों पर आप किसी भी ब्रांड का नाम नहीं देखेंगे.
मार्ता को उनके संदेश के लिए दुनिया भर में सराहना मिल रही है. दरअसल मार्ता की सभी बूट प्रयोजकों के साथ डील बीते साल खत्म हो गई थी. जिसके बाद से स्पॉन्सर्स मार्ता के साथ नए करार पर पहुंचने असफल रहे हैं. कारण है महिलाओं को पुरूष खिलाड़ियों की तुलना में मिलने वाली कम राशि. मार्ता का कहना है कि उन्हें उनके समानांतर पुरुष खिलाड़ियों की तुलना में कम रुपये ऑफर किए जा रहे हैं.
स्पॉन्सर्स के इस रवैये के बाद मार्ता ने फैसला किया कि वो किसी भी कंपनी के साथ करार नहीं करेंगी.
बीते साल मार्ता को यूनाइटेड नेशन वुमन ने अपना एम्बेसडर बनाया था. छह बार फीफा वर्ल्ड प्लेयर ऑफ द ईयर का खिताब जीत चुकी मार्ता ने खेल में मिली शोहरत का इस्तेमाल लैंगिक समानता और रूढ़िवादी सोच को तोड़ने के लिए किया है.
वहीं मार्टा ने अपने बयान में कहती रही है कि वो खेल सशक्तिकरण का एक बेजोड़ साधन मानती हैं.
उन्होंने एक बार कहा था कि “खेल के माध्यम से महिलाएं और लड़कियां सामाजिक-सांस्कृतिक बंधनों और लिंग भेदभाव की रूढ़िवादी सोच को चुनौती दे सकती हैं और अपना आत्मसम्मान, जीवन शैली और नेतृत्व विकसित कर सकती हैं.”
मार्ता यूएनडीपी के गरीबी विरोधी अभियान की एम्बेसडर रह चुकी हैं. यहां उन्होंने लिंग समानता और हिंसा के विरोध की दिशा में काम किया है.
मार्ता द सिल्वा को फुटबॉल के आइकॉन के रूप में ब्राजील में ‘पेले इन अ स्कर्ट’ के नाम से भी जाना जाता है. वह फीफा महिला विश्व कप में लगातार शीर्ष खिलाड़ी रही हैं. वह साल 2004 और 2008 में हुए ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में ब्राजील की टीम को सिल्वर जिताने में कामयाब रहीं थीं.
चार ओलंपिक खेल चुकीं 33 वर्षीय मार्ता ब्राजील के एक छोटे से शहर से आती हैं. उन्होंने 7-8 साल की उम्र से फुटबॉल खेलना शुरू किया था. परिवार और समाज से विद्रोह कर उन्होंने खेलना जारी रखा और अपना मुकाम बनाया.
यूएन एजेंसी ने साल 2017 में करवाए गए एक सर्वे के हवाले से कहा है कि शीर्ष महिला खिलाड़ी पुरूषों की तुलना में केवल एक फीसदी कमाई कर पाती हैं.
फोर्ब्स के 100 सबसे अधिक कमाई करने वाले खिलाड़ियों में एक भी महिला शामिल नहीं हैं. फीफा महिला विश्व कप फ्रांस में सात जून से शुरू हुआ है. यह 7 जुलाई तक चलेगा.
(सभी तस्वीरें ट्विटर से साभार.)