कई मायनों में ऐतिहासिक है भारत की यह जीत
भारत ने 70 साल बाद ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज जीतकर इतिहास रच दिया है. जो काम भारत के सबसे सफलतम कप्तानों में से रहे सौरव गांगुली और एम एस धोनी नहीं कर सके, वह काम टीम इंडिया ने विराट कोहली की कप्तानी में कर दिखाया है. भारत ने ऑस्ट्रेलिया को चार मैचों की टेस्ट सीरीज में 2-1 से हराकर यह ऐतिहासिक सफलता हासिल की. हालांकि अगर सिडनी में खेला जा रहा चौथा टेस्ट मैच खराब रोशनी के चलते आज ड्रा नहीं हुआ होता, तो भारत के नाम यह जीत 3-1 से दर्ज होती.
भारत का ऑस्ट्रेलिया दौरा 21 नवम्बर से शुरू हुआ था और शुरुआत से ही इस दौरे पर भारत की संभावनाओं को मजबूत माना जा रहा था. इसके बावजूद ऑस्ट्रेलिया में ऑस्ट्रेलिया को पराजित करना एक कठिन चुनौती थी.
भारत ने अपने दौरे की शुरुआत धमाकेदार अंदाज़ में की. उसने एडीलेड में खेले गए पहले टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलिया को 31 रन से हराकर मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल कर ली थी. सीरीज के पहले ही मैच में पुजारा ने शतक जड़कर अपने इरादे पूरी सीरीज के लिए जता दिए थे.
भारत का अगला मैच पर्थ की उस पिच पर था जिसे आईसीसी पहले ही औसत पिच का दर्जा दे चुकी थी, लेकिन दूसरे टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलिया ने शानदर वापसी करते हुए भारत को 146 रन से हराया. तब लगा कि शायद भारत को ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज जीतने के लिए और इंतजार करना पड़ेगा.
सीरीज का तीसरा मैच मेलबर्न में था जिसकी पिच पर्थ जैसी ही थी. हालांकि इस मैच में भारत के नए सलामी बल्लेबाज मयंक अग्रवाल का अर्धशतक सौगात साबित हुआ. उनके अर्धशतक और चेतेश्वर पुजारा के शतक की बदौलत ऑस्ट्रेलिया को 146 रन से मात दी. इस मैच में जसप्रीत बुमराह की शानदार गेंदबाजी ने भी आस्ट्रेलिया के हौसले पस्त किए.
सीरीज के चौथे और आखिरी मैच में भी भारत का बढ़िया प्रदर्शन जारी रहा पुजारा और ऋषभ पन्त के शतक की बदौलत भारत ने पहली पारी में 622 रन का पहाड़ जैसा स्कोर खड़ा किया. ऑस्ट्रेलिया इस विशाल स्कोर के दबाव में फॉलोआन खेलने को मजबूर हुआ. यह 31 साल बाद था जब ऑस्ट्रेलिया को अपनी सरजमीं पर फॉलोआन खेलने को मजबूर होना पड़ा. लेकिन अंततः यह मैच बारिश के कारण रद्द कर दिया गया.
भारत की उपलब्धियां
भारत के पास इस समय ऐसे तेज़ गेंदबाज है जो किसी भी देश में जाकर टेस्ट की दोनों परियों में 20 विकेट लेने का माद्दा रखते हैं. फिर वह चाहे ईशांत शर्मा, जसप्रीत बुमराह, मुहम्मद शमी हों या फिर उमेश यादव या भुवनेश्वर कुमार. इस पूरी सीरीज में जीत का सेहरा केवल बल्लेबाज़ी के सर पर नहीं बंधा जा सकता. जसप्रीत बुमराह, ईशांत और मुहम्मद शमी के प्रदर्शन भी काबिले-तारीफ रहे और इस बात को स्वयं ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज पूर्व खिलाड़ियों ने भी माना. पूरी सीरीज में जसप्रीत बुमराह ने 21 विकेट चटकाए जबकि मुहम्मद शमी ने 16 विकेट हासिल किए. ईशांत ने भी 3 टेस्ट मैचों में 11 विकेट झटके. यह अब निर्विवाद है कि भारत तेज गेंदबाजी के सुनहरे दौर से गुजर रहा है.
ऑस्ट्रेलिया दौरे से पहले पुजारा का इंग्लैंड और वेस्ट इंडीज के खिलाफ मिला-जुला प्रदर्शन था. कहा जा रहा था कि वह जरुरत से ज्यादा रक्षात्मक बल्लेबाजी करते हैं. इस सीरीज में पुजारा की लड़ाई इस धारणा को गलत साबित करने की थी. इस मौके को पूरा फायदा उठाते हुए पुजारा ने पूरी सीरीज में लगभग 74 की औसत से 521 रन बनाये. इसमें तीन शतक और एक अर्धशतक शामिल है, जिसमें सिडनी में उन्होंने सीरीज का अपना उच्चतम स्कोर 193 रन बनाया.
पिछले वर्ष भारत ने दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड का दौरा किया था जहां उसे बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था. सवाल कप्तान कोहली के तौर-तरीकों और टीम चयन को लेकर भी थे. इस सीरीज में भी पर्थ टेस्ट में मिली हार के बाद उनकी कप्तानी पर सवाल उठे थे. लेकिन विराट ने इस मौके पर अपना धैर्य और मानसिक मजबूती नहीं छोड़ी. उन्होंने टीम चयन की कमियों पर ध्यान देते हुए उन्हें दूर किया और ऑस्ट्रेलिया की सीरीज में वापसी की संभावना को भी खत्म कर दिया. पर्थ में बेहद मुश्किल परिस्थितियों में बनाया गया उनका शतक इस बात की मिसाल था कि वे समकालीन क्रिकेट के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से हैं.