क्या भारतीय टीम भूल गई है कि टेस्ट मैच पांच दिन का होता है ?
भारतीय क्रिकेट टीम ऑस्ट्रलिया के दौरे पर है और बहुप्रतीक्षित टेस्ट सीरीज शुरू हो चुकी है. बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के नाम से मशहूर यह सीरीज ऐसेज से कमतर नहीं आंकी जाती. हालांकि दोनों टीमों के बीच अब तक हुए मैचों में ऑस्ट्रेलिया ज्यादातर मौकों पर बेहतर साबित होती रही है. लेकिन इस बार क्रिकेट जानकारों की राय कुछ अलग थी.
पहले टेस्ट मैच के पहले दिन का खेल समाप्त हो चुका है. लेकिन इसे देखकर तो यही लगता है क्रिकेट पंडितों को अपनी राय बदल लेनी चाहिए. विश्व टेस्ट रैंकिग में नंबर एक पर काबिज भारतीय टीम पहले दिन ताश के पत्तों की तरह बिखरती नजर आई.
इस पारी को देखकर कम से कम एक बात तो साफ हो गई है कि भारतीय टीम अपनी पुरानी बीमारी से उबर नहीं पाई है. तेज विदेशी पिच, खासकर ऑस्ट्रेलिया के ग्राउंड भारतीय टीम को कभी नहीं भाते. बात सिर्फ यहीं खत्म नहीं होती है. इस बार सुगबुगाहट एक नई बीमारी को लेकर भी हो रही है.
इस नई बीमारी की जड़े डी-20 मैचों में देखी जा रही हैं. कम से कम आज पहले दिन के खेल में भारतीय खिलाड़ियों के शॉट चयन तो इसी ओर इशारा करते हैं. इस बहस को सबसे ज्यादा बल रोहित शर्मा ने दिया.
रोहित शर्मा अपनी 37 रनों की छोटी पारी में तीन छक्के लगा चुके थे. लेकिन फिर भी वह बार-बार गेंद को हवा में मारने की कोशिश कर रहे थे. डीप मिडविकेट पर कैच छूटने के बाद अगली ही गेंद को फिर वह हवा में उसी ओर मार बैठे और लपक लिए गए.
भारतीय टीम की जल्दबाजी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सात ओवर के अंदर भारत अपनी ओपनर जोड़ी खो चुका था. भारतीय टीम को शॉट मारने की इतनी जल्दी देखकर सुनील गावस्कर को कहना पड़ा कि, लग रहा है भारतीय टीम भूल गई है कि टेस्ट क्रिकेट पांच दिन खेला जाता है.
हालांकि ऑस्ट्रेलिया अपनी तेज और उछाल भरी पिचों के लिए जाना जाता है. भारतीय बल्लेबाजों में इसको लेकर दशहशत पहले भी देखी जाती रही है. लेकिन आज के पिच में वैसा कुछ देखने को नहीं मिला. पिच सामान्य कही जा सकती है. तेज गेंदबाजी का स्तर भी वैसा नहीं था, जैसा कभी मिशेल जॉनसन, ब्रेट ली और ग्लेन मैकग्राथ के दौर में हुआ करता था.
आज के मैच में भारतीय खिलाड़ी ऑस्ट्रेलिया के एकमात्र स्पिनर नाथन लियोन की गेंदों पर नाचते नजर आ रहे थे. लियोन ने अपनी 28 ओवर की गेंदबाजी में दो खिलाड़ियों को पैवेलियन की राह दिखाई.
आज के खेल में एक चीज जो भारतीय टीम के लिए सकारात्मक रही वो है चेतेश्वर पुजारा का प्रदर्शन. जहां दूसरे खिलाड़ी आया राम गया राम करते जा रहे थे, पुजारा एक छोर पर डटे हुए थे. इस दौरान पुजारा ने क्रीज पर समय बिताने की अपनी क्षमता और शानदार रक्षात्मक खेल का प्रदर्शन किया.
इस दौरान पुजारा ने 246 गेंदों का सामना करते हुए 123 रन बनाए. यह पुजारा का 16वां शतक था.
फिलहाल पहले दिन का खेल समाप्त होने तक भारतीय टीम ने अपने 9 विकेट गवां चुकी थी और स्कोर बोर्ड पर सिर्फ 250 रन नजर आ रहे थे. खैर भारतीय टीम के पहले दिन का खेल देखते हुए कोई यह नहीं कह सकता कि वह ऑस्ट्रेलिया में जीत का 70 साल पुराना सूखा खत्म करने वाली है.