पर्थ में भारत की परीक्षा
भारतीय क्रिकेट टीम ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर है और चार मैचो की टेस्ट सीरीज का पहला मैच जीतकर 1-0 की बढ़त भी ले चुकी है. अब उसे अगला मैच शुक्रवार को पर्थ में खेलना है. तेज गेंदबाजों के लिए स्वर्ग मानी जाने वाली पर्थ की पिच पर भारत का रिकार्ड अच्छा नहीं रहा है.
इससे पहले पर्थ में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच चार टेस्ट मैच खेले गए हैं. इनमें से तीन मैच भारत ने गंवाए हैं.
वैसे भी पिच पर घास देखना भारतीय बल्लेबाजों को कभी रास नहीं आता और पर्थ अपनी इसी ख़ासियत के लिए जानी जाती है. हालांकि यह पुरानी पर्थ की पिच नहीं है. लेकिन फिर भी पर्थ के वातावरणीय प्रभाव मैच को प्रभावित तो करेंगे ही. गेंद को स्विंग कराने में पर्थ की ब्रीज (समुद्र की ओर से चलने वाली हवा) काफी मददगार साबित होती रही है.
यह मैच नवनिर्मित ऑप्टस स्टेडियम में खेला जायेगा. इस मैच के लिए ‘ड्रॉप-इन’ पिच का इस्तेमाल किया जा रहा है. ड्रॉप-इन पिच की ख़ासियत यह होती है कि उनका निर्माण स्टेडियम से बाहर किया जाता है. इसके बाद इसको किसी क्रेन या अन्य वाहन के माध्यम से लाकर मैदान में स्थापित कर दिया जाता है.
यह पिच क्यूरेटर ब्रेट सिपथोर्प ने तैयार की है. जिनका प्रयास रहा है कि उछाल वाली पिच तैयार की जाये.
भारत के लिए राहत की बात ये है कि उसके पास ईशांत शर्मा, शमी, बुमराह, भुवनेश्वर और उमेश यादव जैसे विश्वस्तरीय तेज गेंदबाज हैं. लेकिन अश्विन के अंतिम एकादश में शामिल ना होने से उसे झटका भी लगा है. पेट की मांशपेशियों में खिंचाव के चलते अश्विन कम से कम इस मैच में भारतीय टीम से बाहर रहेंगे.
जैसा कि पहले मैच में देखने को मिला कि तेज गेंदबाज मैच में हावी रहे. इस मैच में भी कमोबेश वही हालात रहने की संभावना है. अगर भारतीय गेंदबाज स्तरीय गेंदबाजी कर सके तो ऑस्ट्रेलिया का तेज पिच तैयार करने का दांव उल्टा भी पड़ सकता है.
पिछले कुछ सालों में तेज पिचों पर भारतीय टीम के प्रदर्शन की बात करें तो इसमें काफी सुधार नजर आता है. भारत ने 2014 में इंग्लैंड के दौरे पर चार टेस्ट मैच खेले थे, हालांकि इसमें उसे 4-1 से हार का सामना करना पड़ा था. लेकिन एक मैच जिसमें भारत ने जीत दर्ज की थी वो यह कहानी बयान करने के लिए काफी है कि तेज पिचों पर भारतीय टीम घुटने नहीं टेकती.
लॉर्डस की इस तेज पिच पर भारत ने इंग्लैंड को 95 रन से धूल चटाई थी. इस मैच में भारत की ओर से इशांत शर्मा ने 7 विकेट लिए थे.
इसके बाद 2018 में हुए जोहानिस्बर्ग टेस्ट की विपरीत स्थितियों में भारत ने जीत दर्ज की थी. अनियमित और तेज उछाल वाली इस पिच पर मोहम्मद शमी ने पांच विकेट लिए थे. इसके अलावा अन्य भारतीय तेज गेंदबाजों ने भी शानदार गेंदबाजी का प्रदर्शन किया था.
उधर मध्यक्रम के बल्लेबाज रोहित शर्मा के चोटिल होने के कारण हनुमना विहारी का दूसरे टेस्ट मैच में खेलना लगभग तय है. उन्होंने अपना पहला मैच ओवल में खेला था. दूसरी पारी में 56 रनों का योगदान देने के साथ ही उन्होंने कुछ स्पेल की गेंदबाजी भी की थी. इस लिहाज से देखा जाए तो विहारी अश्विन की कमी को कुछ हद तक पूरा करने में मददगार साबित हो सकते हैं.
ऑस्ट्रेलियाई कप्तान टिम पेन और पूर्व कप्तान रिकी पोंटिंग ने पर्थ की इस तेज पिच पर भारत के लिए मुश्किल होने की बात कही है. अब देखना यह होगा कि भारतीय टीम पर्थ की इस चुनौती का सामना किस तरह से करती है.
फिलहाल ऑस्ट्रेलिया का टास जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला काफी हद तक सही साबित हुआ. उसकी शुरुआत काफी अच्छी रही. पहले विकेट के लिए हैरिस और फिंच के बीच 112 रन की साझेदारी हुई. पहले दिन का खेल खत्म होने पर ऑस्ट्रेलिया ने छह विकेट खोकर 278 रन जोड़ लिए थे.
आज दूसरे दिन लंच तक ऑस्ट्रेलिया की पूरी टीम 326 रन पर सिमट गई.