सोनभद्र हत्याकांड : सामाजिक संगठनों ने स्थानीय प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया
पांच सदस्यीय जांच दल ने उत्तर प्रदेश के उम्भा गांव का दौरा करने के बाद स्थानीय प्रशासन को गोलीकांड की घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया है. 17 जुलाई को उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के उम्भा गांव में दो पक्षों के बीच खूनी संघर्ष में नौ लोगों की मौत हो गई थी और एक दर्जन से ज्यादा लोग घायल हो गए थे .
घटना के बाद सरकार ने उप-प्रभागीय मजिस्ट्रेट और चार पुलिसकर्मियों को बर्खास्त कर दिया है.
‘घोरावल भूमि हत्याकांड जांच रिपोर्ट’ में कहा गया है कि स्थानीय प्रशासनिक अमला उम्भा की घटना के होने में पूरी तरह से जिम्मेदार है.
विभिन्न लोगों से बातचीत के आधार पर जांच दल ने दावा किया है कि विवादित जमीन आदर्श को-ऑपरेटिव सोसाइटी के नाम से थी और इसे साल 2017 में ग्राम प्रधान यज्ञदत्त भूर्तिया और उसके 11 लोगों के नाम हस्तांतरित किया गया था.
रिपोर्ट में दावा किया गया है, “विवादित जमीन के हस्तांतरण पर स्थानीय लोगों ने आपत्तियां दर्ज कीं और कई स्तर केस भी चल रहे थे. लेकिन घोरावल एसडीएम विजय प्रकाश तिवारी और तहसीलदार सुरेश चन्द्र ने दिनांक 27 फरवरी 2019 को आदिवासियों की आपत्तियों को खारिज करते हुए यज्ञदत्त भूर्तिया और उसके 11 रिश्तेदारों के नाम जमीन दाखिल-खारिज कर दी.”
रिपोर्ट में आगे कहा गया है, “दाखिल-खारिज के बाद आदिवासियों ने सोनभद्र के जिलाधिकारी के यहां आपत्ति दर्ज की लेकिन उन्होंने आपत्ति खारिज कर दी जिससे प्रधान और उसके रिश्तेदारों का जमीन पर उनका अवैध मालिकाना हक बन गया.”
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि गोलीबारी में घायल कई लोगों का अबतक इलाज नहीं हो पाया है.
जांच दल ने सोनभद्र के जिलाधिकारी के खिलाफ अवैधानिक कृत्यों का केस दर्ज करने सहित पांच मांगे रखी हैं.
अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा, एआईकेएमएस, नौजवान भारत सभा, एनबीएस ने संयुक्त रूप से गांव के सभी आदिवासियों और भूमिहीनों को 10-10 बीघा जमीन का पट्टा देने की मांग की है. इसके साथ ही गोलीबारी में मृतकों के परिजनों को 20-20 लाख रुपये और घायलों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये मुआवजे की मांग की गई है.
जांचदल ने पुलिस पर बाहर के लोगों को गांव में जाने से रोकने का आरोप लगाया है.
जांच दल में एआईकेएमएस के विनोद निषाद व शिवधारी सिंह तथा एनबीएस के भीमलाल, संजय और राधेश्याम बिन्द शामिल थे.