आदिवासी और दलित समुदायों का भारत बंद जारी
देश के कई राज्यों में आदिवासी और दलित समुदायों का भारत बंद जारी है. प्रदर्शनकारी सरकार से अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने की मांग कर रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने 19 राज्यों के करीब 10 लाख से ज्यादा आदिवासियों और जंगल में रहने वाले समुदायों को जंगल से बेदखल करने का आदेश जारी किया था. कोर्ट के एक अन्य फैसले में उच्च शिक्षण संस्थानों की नियुक्तियों में 13 प्वाइंट रोस्टर लागू करने का आदेश दिया है.
भारत बंद के समर्थन में देश के कई हिस्सों में सड़क जाम और ट्रेन रोकने की खबरें आ रही हैं.
इस बीच केन्द्रीय मानव विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि सरकार 200 प्वाइंट रोस्टर लाएगी. हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि इसके लिए सरकार अध्यादेश लाएगी या नहीं.
उन्होंने कहा कि सरकार इस स्थिति से कभी सहमत नहीं थी इसलिए हमने कोर्ट में एक पुनर्विचार याचिका दाखिल की है जो कि अब खारिज हो चुकी है.
200 प्वाइंट रोस्टर की एक व्यवस्था में विश्वविद्यालय को एक यूनिट माना गया है.
प्रदर्शनकारी संविधान की अनुच्छेद 312 के तहत भारतीय न्यायिक सेवाओं (आईजेएस) की स्थापना की भी मांग कर रहे हैं. अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों को न्यायिक सेवाओं में समुचित भागीदारी के लिए आईजेएस की स्थापना की मांग लम्बे समय से की जा रही है.
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह आदेश को तत्काल स्थगित कर दिया था, लेकिन आदिवासी अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्थाएं आदेश को पलटने के लिए अध्यादेश की मांग कर रही हैं.
आदिवासी अधिकार आंदोलन से जुड़े ओमप्रकाश कहते हैं, “हम लोग अपनी जमीन के लिए पट्टे की मांग करते रहे हैं, लेकिन यह कभी नहीं हो पाया. लेकिन अब सरकार हमसे हमारी जमीन छीनना चाहती है.”
बंद में कई बहुजन समूह भी शामिल हो रहे हैं. इनका आरोप है कि 13 प्वाइंट रोस्टर के लाए जाने से एससी, एसटी और ओबीसी उम्मीदवारों का विश्वविद्यालयों के विभागों में नियुक्ति नहीं पाई है.
बंद समर्थक अपनी मांगों को स्थानीय स्तर पर जिला प्रशासन को देने के साथ-साथ राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजेंगे.
इस बंद को तमाम राजनीतिक धड़ों से समर्थन भी मिला है. आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने ट्वीट कर इस बंद को अपना समर्थन दिया है.
बंद बुलाने वाले संगठनों में आदिवासी अधिकार आंदोलन, ऑल इंडिया अंबेडकर महासभा और संविधान बचाओ संघर्ष समिति शामिल हैं.